July 26, 2025
National

मालेगांव विस्फोट केस: 31 जुलाई को एनआईए सुना सकती है फैसला, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील बोले- ‘उम्मीद, सत्य की होगी जीत’

Malegaon blast case: NIA may announce its decision on July 31, Sadhvi Pragya Thakur’s lawyer said- ‘Hopefully, truth will prevail’

2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में विशेष एनआईए अदालत की ओर से 31 जुलाई 2025 को फैसला सुनाए जाने की संभावना है। इस मामले की आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के वकील जेपी मिश्रा को उम्मीद है कि 31 जुलाई को सत्य की जीत होगी।

शनिवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि 31 जुलाई को फैसला सुनाया जाएगा। मामले में मजबूत तैयारी और जिस तरह से झूठे सबूत पेश किए गए, उसके आधार पर मुझे पूरा विश्वास है कि न्याय होगा और सच्चाई की जीत होगी क्योंकि सत्य को कभी छिपाया नहीं जा सकता है। निर्दोष लोगों को जरूर न्याय मिलेगा।

उन्होंने इस केस में देरी के कारणों पर विस्तार से बताते हुए कहा कि शुरुआत में महाराष्ट्र एटीएस ने 12 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट ने 5 लोगों को डिस्चार्ज कर दिया, जिसमें 3 को पूर्ण रूप से और 2 को आंशिक रूप से डिस्चार्ज किया। राकेश धावड़े और जगदीश चिंतामणि मातरे के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत केस पुणे और कल्याण सेशन कोर्ट में स्थानांतरित किए गए। वर्तमान में 7 लोग ट्रायल का सामना कर रहे हैं, जिनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित शामिल हैं।

मिश्रा के अनुसार, देरी का कारण 323 लोगों की गवाही और एक गवाह का अधिक समय लेना रहा। शुरुआत में 2008 से 2016 तक कोई प्रगति नहीं हुई। एटीएस ने मकोका (महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम) लगाया, लेकिन किसी भी आरोपी के खिलाफ पहले से दो चार्जशीट नहीं थी, जो मकोका के लिए आवश्यक है। केस 2011 में एनआईए को सौंपा गया, और 2016 में एनआईए ने चार्जशीट दाखिल की, जिसमें प्रज्ञा ठाकुर सहित कुछ को क्लीन चिट दी गई, लेकिन कोर्ट ने ठाकुर को मुकदमे का सामना करने का आदेश दिया।

उन्होंने बताया कि 31 जुलाई को सभी आरोपियों को कोर्ट में उपस्थित होना अनिवार्य है। यदि दोषी ठहराए गए, तो उन्हें तुरंत हिरासत में लिया जाएगा, और सजा का ऐलान होगा।

अधिवक्ता जेपी मिश्रा का दावा है कि एटीएस ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में सबूत इकट्ठा नहीं किए, बल्कि उन्हें बनाया। सबूत इकट्ठा करने का मतलब है जांच के दौरान तथ्यों, गवाहों, और भौतिक साक्ष्यों को निष्पक्ष रूप से एकत्र करना, जैसे घटनास्थल से फिंगरप्रिंट, विस्फोटक अवशेष, या गवाहों के बयान। वहीं, सबूत बनाने का अर्थ है गलत तरीके से फर्जी साक्ष्य तैयार करना, जैसे गवाहों पर दबाव डालकर झूठे बयान दिलवाना, दस्तावेजों में हेरफेर, या साक्ष्य को तोड़-मरोड़कर पेश करना।

मिश्रा का कहना है कि इस मामले में झूठे सबूत पेश किए गए, जिसके आधार पर वह मानते हैं कि 31 जुलाई 2025 को विशेष एनआईए अदालत के फैसले में सच्चाई सामने आएगी और सत्य की जीत होगी।

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