October 4, 2024
National

कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने उठाई मांग, चांडी के नाम पर रखा जाए विझिंजम बंदरगाह का नाम

तिरुवनंतपुरम, 13 अक्टूबर  । केरल में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने मांग करते हुए कहा कि राजधानी जिले में विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह का नाम दो बार कांग्रेस के मुख्यमंत्री रह चुके ओमन चांडी के नाम पर रखा जाए क्योंकि उनके दृढ़ संकल्प के कारण केरल का ड्रीम प्रोजेक्ट आकार ले सका है।

यूडीएफ संयोजक एमएम हसन ने कहा कि तत्कालीन विपक्षी सीपीआई (एम) के नेतृत्व वाले एलडीएफ द्वारा परियोजना के खिलाफ कई बाधाओं के बावजूद जब निर्णय लिया गया तो चांडी दृढ़ रहे।

हसन ने कहा, “चांडी के नाम पर बंदरगाह का नाम रखना उचित है क्योंकि उनका दृढ़ विश्वास था कि विझिंजम बंदरगाह जब बन जाएगा तो इससे केरल को लाभ होगा।”

उन्होंने आगे कहा कि चांडी के समय बंदरगाह मंत्री के. बाबू थे, जो वर्तमान में कांग्रेस विधायक हैं। बाबू ने इस परियोजना के लिए कड़ी मेेहनत की।

हसन ने यह बात चीन से विशाल क्रेनों को ले जाने वाले पहले मदर शिप के विझिंजम अंतर्राष्ट्रीय बंदरगाह पर पहुंचने के एक दिन बाद कही, जिसका पहला चरण पूरा होने वाला है।

जहाज को पारंपरिक जल सलामी दी गई और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और केंद्रीय जहाज रानी मंत्री सर्बानंद सोनोवाल सहित अन्य लोग रविवार को बंदरगाह पर आधिकारिक तौर पर जहाज का स्वागत करेंगे।

संयोग से हसन का बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ ट्रोल्स ने सीपीआई (एम) की इस पाखंडी रुख के लिए आलोचना की।

ट्रोल ने सीपीआई (एम) की आलोचना करते हुए कहा कि उसने इस परियोजना का पुरजोर विरोध किया, इसे लूट करार दिया। यह राज्य में मछली पकड़ने के क्षेत्र को खत्म कर देगा, लेकिन अब यह दावा कर रहा है कि बंदरगाह परियोजना पिनाराई विजयन की दूरदर्शिता के कारण यहां तक पहुंची है।

उन्होंने विधानसभा में चांडी का एक भाषण भी वायरल किया, जिसमें उन्होंने परियोजना के पक्ष में कड़ा रुख अपनाया था और कहा था कि वह बंदरगाह के संबंध में सभी संदेह दूर करने के इच्छुक हैं।

इस परियोजना पर चांडी (2011-16) के तहत कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ सरकार द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे और बंदरगाह पर काम चांडी के कार्यकाल के अंत में शुरू हुआ था। विजयन सरकार के सत्ता संभालने के बाद कई कारणों से चांडी सरकार द्वारा निर्धारित गति का पालन नहीं किया जा सका।

5 दिसंबर, 2015 को अडानी द्वारा बंदरगाह की शुरुआत के दौरान, इसके संस्थापक गौतम अडानी ने घोषणा की थी कि पहला जहाज 1,000 दिनों से भी कम समय के एक सितंबर, 2018 को यहां पहुंचेगा। लेकिन समूह विभिन्न कारकों के कारण समय सीमा को पूरा करने में विफल रहा।

फिलहाल बंदरगाह पर पहले चरण का 80 फीसदी से ज्यादा काम खत्म हो चुका है।

अब पहले जहाज के आने के बाद सात और जहाज आने वाले हैं और अगले साल मई में बंदरगाह को वाणिज्यिक परिचालन के लिए खोल दिया जाएगा।

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