चंडीगढ़, 25 जनवरी
ऑडिट रिपोर्ट में, पीजीआईएमईआर को दो दबाव स्विंग सोखना (पीएसए) संयंत्रों के गैर-उपयोग के लिए भी जांच का सामना करना पड़ा, जिससे 69.16 लाख रुपये का निष्फल व्यय हुआ। केंद्र सरकार द्वारा कोविड महामारी के दौरान स्थापित किए गए ये संयंत्र कथित तौर पर जुलाई 2021 से निष्क्रिय हैं।
संस्थान ने गैर-महत्वपूर्ण क्षेत्रों में मरीजों की कमी और अत्यधिक बिजली की खपत का हवाला देते हुए गैर-उपयोग का बचाव किया। वेंटिलेटर के इष्टतम कामकाज के लिए कैलिब्रेटेड ऑक्सीजन सांद्रता प्रदान करने के लिए पौधे महत्वपूर्ण थे। प्लांटों को क्रियाशील बनाए रखने के लिए इन्हें महीने में दो बार चलाया जा रहा है।
रिपोर्ट में कोविड अवधि के दौरान प्राप्त हिस्टोपैथोलॉजी में पांच गैर-कार्यात्मक वेंटिलेटर और मशीनों पर भी प्रकाश डाला गया है। पीजीआईएमईआर का कहना है कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त ये वेंटिलेटर, हिस्टोपैथोलॉजी में मशीनों के उपयोग के साथ-साथ वर्तमान में सक्रिय विचाराधीन हैं।
इसके अलावा, ऑडिट ओपीडी और फार्मेसी काउंटरों में अपर्याप्त कतार प्रबंधन प्रणाली की ओर ध्यान आकर्षित करता है। रिपोर्ट बायोमेडिकल अपशिष्ट रजिस्टर के अनुचित रखरखाव की ओर भी इशारा करती है और अपशिष्ट प्रबंधन मानदंडों के गैर-अनुपालन पर प्रकाश डालती है। संस्थान में अपशिष्ट उपचार संयंत्र का अभाव है।
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