November 24, 2024
National

मराठा कोटा : 20 फरवरी को महाराष्‍ट्र विधानमंडल के विशेष सत्र के लिए मंच तैयार

मुंबई, 20 फरवरी । महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार (20 फरवरी) को विधानमंडल का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया है, जो मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लंबे समय से लंबित मुद्दे के लिए गेम-चेंजर हो सकता है। अधिकारियों ने यहां सोमवार को यह बात कही।

महायुति सरकार के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और अजित पवार ने पहले भी कई बार आश्‍वासन दिया है। उन्‍होंने सोमवार को पुणे में दोहराया कि वे अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को प्रभावित किए बिना मराठों को कोटा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

विधानमंडल का विशेष सत्र महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग (एमएसबीसीसी) के अध्यक्ष, सेवानिवृत्त न्यायाधीश सुनील शुक्रे द्वारा शुक्रवार (16 फरवरी) को मराठों के पिछड़ेपन का पता लगाने वाली अपनी व्यापक रिपोर्ट सीएम को सौंपने के बमुश्किल तीन दिन बाद आता है।

शिंदे मराठों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ेपन की सर्वेक्षण रिपोर्ट राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष पेश करेंगे और इस पर विधानमंडल में बहस होगी।

राजनीतिक सूत्रों ने कहा कि सरकार के लिए बड़ी चुनौती मौजूदा ओबीसी आरक्षण को परेशान किए बिना मराठा कोटा देने के अपने वादे को पूरा करना है, जिससे यह एक मुश्किल प्रस्ताव बन गया है।

शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल, जो अपनी अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के 10वें दिन पर हैं, ने आज (सोमवार) कहा कि समुदाय जो चाहता है, वह “वास्तविक कोटा है, न कि केवल खोखले आश्‍वासन” जिसमें ‘सेज-सोयारे’ की मांग भी शामिल है।

जारांगे-पाटिल ने जालना जिले के अपने पैतृक गांव अंतरावली-सरती में चेतावनी देते हुए कहा, “कल अल्टीमेटम का आखिरी दिन है… हम अपनी अगली कार्रवाई तय करने से पहले विधानमंडल के विशेष सत्र में परिणाम देखेंगे।”

एमएसबीसीसी के नवीनतम सर्वेक्षण में 2.25 करोड़ से अधिक परिवारों को शामिल किया गया, जिससे यह देश में कहीं भी अपनी तरह का सबसे बड़ा अभ्यास बन गया, और इसमें राज्यभर में काम करने वाले तीन-चार लाख अधिकारी शामिल थे।

इसके साथ ही, राज्य सरकार ‘कुनबी-मराठा’ और ‘मराठा-कुनबी’ अभिलेखों की गहन खोज में लग गई।

जारंगे-पाटिल के अनुसार, पिछले लगभग तीन महीनों में अब तक 57 लाख से अधिक अभिलेख पाए गए हैं, जिससे मराठों में उम्‍मीद जगी है।

सीएम के आश्‍वासन के बावजूद इस समय सभी प्रमुख ओबीसी समूह मराठों को ओबीसी कोटा में शामिल करने का विरोध कर रहे हैं, जिसे महायुति मंत्री छगन भुजबल ने मराठा समुदाय का व्यवस्थित ‘कुनबीकरण’ और उन्हें ओबीसी आरक्षण में पिछले दरवाजे से प्रवेश देना करार दिया है।

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