पश्चिमी कमान के खड़गा कोर के सैपर्स ने लड़ाकू सहायता अभियानों के निष्पादन में कौशल को निखारने के लिए विभिन्न सेना प्रशिक्षण अड्डों पर नकली युद्धक्षेत्र स्थितियों के तहत एक महीने का व्यापक अभ्यास किया।
अभ्यास का उद्देश्य प्राकृतिक और मानव निर्मित बाधाओं को दूर करने के लिए ‘समग्र कार्य बलों’ की परिचालन दक्षता को बढ़ाना था, जिससे युद्ध के दौरान स्ट्राइक कोर तत्वों की आवाजाही में आसानी हो।
अभ्यास के दौरान नई पीढ़ी की प्रौद्योगिकियों और प्लेटफार्मों को एकीकृत और मान्य किया गया। इसमें खदान क्षेत्रों की ब्रीचिंग के लिए मल्टी रोलर असेंबली के साथ पूरी चौड़ाई वाला माइन प्लो, टोही के लिए दिन और रात की क्षमता वाले ड्रोन, मॉड्यूलर ब्रिज, एंटी-ड्रोन सिस्टम और कमांड और कंट्रोल नेटवर्क जैसे उपकरण शामिल थे।
सैपर्स, जिन्हें लड़ाकू इंजीनियरों के रूप में भी जाना जाता है, आक्रामक अभियानों के लिए नजदीकी युद्ध इंजीनियरिंग सहायता प्रदान करते हैं, जिनके लिए शांति समय के दौरान कठोर प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। उनकी भूमिका में खदान क्षेत्रों को बिछाना और तोड़ना, वाहनों के लिए पोर्टेबल पुल और ट्रैक बिछाना, बाधाएं बनाना और ध्वस्त करना और आयुध का निपटान करना शामिल है।
अभ्यास की समीक्षा पश्चिमी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल मनोज कुमार कटियार ने की, जिन्होंने सैनिकों की पेशेवर उत्कृष्टता और नवीनतम तकनीक को शामिल करने के प्रयासों की सराहना की।
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