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अभिनेत्री लीला चिटनिस: बॉलीवुड के स्वर्णिम दौर की संवेदनशील और सशक्त आवाज

Actress Leela Chitnis: A sensitive and strong voice of Bollywood's golden era

महान अभिनेत्री लीला चिटनिस भारतीय सिनेमा के उस दौर का हिस्सा थीं, जब सिनेमा समाज में बदलाव लाने का एक नया माध्यम बन रहा था। वह अपने समय की सबसे अधिक पढ़ी-लिखी अभिनेत्रियों में से एक थीं। बॉलीवुड के “गोल्डन एरा” में उन्होंने कई उल्लेखनीय फिल्मों में काम किया और अपने शांत और दमदार अभिनय के लिए दर्शकों के दिल में खास जगह बनाई। उनके किरदारों में हमेशा मानवीय संवेदनाओं और गरिमा की झलक मिलती थी।

अपने समय की सामाजिक बेड़ियों को तोड़कर अपनी पहचान बनाई। जहां एक ओर उन्होंने पर्दे पर भारत की आदर्श मां का किरदार निभाया, वहीं असल जीवन में वह एक ऐसी क्रांतिकारी महिला थीं जिन्होंने अपने सपनों के लिए एक बड़ा और साहसी कदम उठाया।

9 सितंबर 1909 को जन्मी लीला चिटनिस ने कला में स्नातक की डिग्री हासिल की थी। उनकी शादी एक जमींदार से हुई थी और वह चार बच्चों की मां थीं। उस दौर में सभ्य और उच्च वर्ग की महिलाओं के लिए फिल्मों में काम करना एक अपमानजनक पेशा माना जाता था। फिल्मों में काम करने वाली महिलाओं को समाज अक्सर सम्मान की नजर से नहीं देखता था।

लीला चिटनिस ने सामाजिक मानदंडों की परवाह न करते हुए अपने पति को बताया कि वह एक अभिनेत्री बनना चाहती है। उनके इस फैसले का परिवार ने कड़ा विरोध किया। उन्हें समझाया गया कि यह उनके परिवार की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाएगा और उनके बच्चों के भविष्य के लिए यह सही नहीं होगा।

जब कोई रास्ता नहीं बचा तो उन्होंने अपने पति से तलाक लेने का फैसला किया और चार बच्चों की जिम्मेदारी अकेले उठाई। अपनी आत्मकथा ‘चंदेरी दुनिया’ में लीला चिटनिस ने इसका जिक्र किया है।

इसके साथ ही उन्होंने बताया है कि कैसे राज कपूर ने पहली बार उनको मां का किरदार करने के लिए मनाया था।

लीला चिटनिस यह किरदार मिलने से पहले एक ग्लैमरस हीरोइन के रूप में प्रसिद्ध थीं। उन्होंने कई फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाई थीं, लेकिन 1940 के दशक के अंत तक, उनका करियर थोड़ा धीमा हो गया था। एक दिन उन्हें राज कपूर से एक फिल्म का ऑफर मिला।

लीला चिटनिस बहुत उत्साहित थीं, क्योंकि राज कपूर उस समय के सबसे बड़े और महत्वाकांक्षी फिल्म निर्माताओं में से एक थे। जब वह उनके पास गईं, तो उन्हें एक ऐसे किरदार के लिए ऑफर दिया गया जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी।

राज कपूर ने उनसे फिल्म ‘आसमान महल’ में मुख्य किरदार की मां का रोल करने के लिए कहा। लीला चिटनिस चौंक गईं। उन्हें लगा कि वह अभी भी जवान हैं और मां का किरदार निभाने के लिए तैयार नहीं हैं, खासकर जब वह अभी भी हीरोइन की भूमिकाएं निभा रही थीं। उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया।

राज कपूर ने उन्हें समझाया, “मैं चाहता हूं कि आप यह रोल करें, क्योंकि आप ही इस किरदार में वह गरिमा ला सकती हैं जो मैं चाहता हूं।” उन्होंने लीला चिटनिस को विश्वास दिलाया कि यह किरदार उनके करियर को एक नई दिशा देगा।

राज कपूर के समझाने पर लीला चिटनिस ने इस रोल को स्वीकार कर लिया। हालांकि फिल्म ‘आसमान महल’ नहीं बन पाई, लेकिन इसके बाद उन्हें राज कपूर की ही एक और फिल्म ‘आवारा’ (1951) में मुख्य हीरोइन की मां का किरदार निभाने का मौका मिला। यह रोल इतना सफल हुआ कि रातों-रात लीला चिटनिस “बॉलीवुड की मां” के रूप में मशहूर हो गईं। इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में मां के यादगार किरदार निभाए, जिनमें ‘गाइड’ और ‘शहीद’ जैसी फिल्में शामिल हैं।

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