शिमला, 29 मार्च
अडानी समूह की एक कंपनी द्वारा सेब उत्पादकों के कथित शोषण का मुद्दा आज विधानसभा में उठाया गया। सदस्यों ने कहा कि सेब बेल्ट में स्थापित तीन नियंत्रित वायुमंडलीय (सीए) स्टोरों को सौंपे जाने से पहले कंपनी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए थे।
बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन को आश्वासन दिया कि सेब बेल्ट में सीए स्टोर चलाने में कृषि उपज बाजार समिति (एपीएमसी) अधिनियम का उल्लंघन या अन्य अनाचार पाए जाने पर अडानी समूह की कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
नेगी विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान ठियोग विधायक कुलदीप राठौर द्वारा पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर दे रहे थे। उन्होंने कहा कि सीए स्टोर का निर्माण राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के तहत और 2008 से 2011 तक नाबार्ड के फंड की मदद से किया गया था और इन्हें अदानी समूह को सौंपने से पहले कोई समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किया गया था।
नेगी ने कहा, “हम इस मुद्दे के कानूनी पहलुओं की जांच करेंगे कि क्या इतने सालों के बाद हम सेब उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।” राठौड़ ने कहा कि शिमला सेब बेल्ट में सीए स्टोर बिना एमओयू साइन किए अडानी ग्रुप को सौंप दिए गए। उन्होंने आरोप लगाया, “जब सेब का सीजन शुरू होता है, तो अडानी कंपनी खरीद दरों की घोषणा करती है और फलों की कीमतें अचानक गिर जाती हैं, जिससे उत्पादकों को भारी नुकसान होता है।”
मंत्री ने कहा कि अडानी समूह को सीए स्टोर स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के तहत नाबार्ड के माध्यम से 15.98 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया था, लेकिन कोई समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं किया गया था। उन्होंने कहा, “अडानी समूह की कंपनी ने शिमला जिले के सैंज (ठियोग), मेहदली (रोहड़ू) और रेवली (कुमारसैन) में तीन सीए स्टोर स्थापित किए हैं।”
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