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उग्र विरोध के बाद सरकार ने नागपुर की दीक्षाभूमि पर पार्किंग परियोजना रोकी

After fierce protests, the government stopped the parking project at Deekshabhoomi in Nagpur.

नागपुर, 1 जुलाई । हजारों दलितों ने सोमवार को नागपुर में प्रसिद्ध दीक्षाभूमि पर प्रस्तावित भूमिगत पार्किंग स्थल के विरोध में उग्र प्रदर्शन किया। यहां डॉ. बी.आर. अंबेडकर और उनके चार लाख से अधिक अनुयायियों ने 58 साल पहले बौद्ध धर्म अपनाया था।

प्रदर्शनकारियों ने स्टील, कंक्रीट के खंभों व अस्थायी बाउंड्री को निशाना बनाया। उन्होंने वहां रखे लकड़ी के सामानों में आग लगा दी। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं भी शामिल थीं।

मौके पर पहुंची नागपुर पुलिस और दंगा नियंत्रण पुलिस ने लाउडस्पीकर से लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और उन्हें वहां हटने के लिए कहा। लेकिन प्रदर्शनकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। विपक्षी महा विकास अघाड़ी के नेताओं ने सरकार की आलोचना की।

आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार दोपहर विधानसभा में पार्किंग परियोजना पर रोक लगाने की घोषणा की।

फडणवीस ने कहा कि दीक्षाभूमि ट्रस्ट द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी देने के बाद राज्य सरकार ने इसके लिए आवश्यक धनराशि जारी की थी। लेकिन जनता की भावनाओं को देखते हुए फिलहाल परियोजना पर रोक लगा दी गई है।

उन्होंने कहा कि संबंधित पक्षों से बातचीत व उनकी सहमति के बाद मामले में अंतिम निर्णय लिया जाएगा।

कांग्रेस नेता नितिन राउत, शिवसेना (यूबीटी) के आदित्य ठाकरे और सुषमा अंधारे, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के जितेंद्र आव्हाड और वंचित बहुजन अघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर सहित एमवीए के वरिष्ठ नेताओं ने दलितों और अन्य हितधारकों को विश्वास में लिए बिना प्रस्ताव को आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की आलोचना की।

प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि बार-बार आपत्ति जताए जाने के बावजूद, कुछ ट्रस्टी परियोजना को आगे बढ़ाने पर अड़े हुए हैं। यहां भूमिगत पार्किंग स्थल की किसी की मांग नहीं है। इससे व्यावसायिक हित जुड़े हो सकते हैं।

आदित्य ठाकरे ने कहा कि जब भी कोई बड़ा आयोजन होता है, तो सुरक्षा कारणों से ऐसी भूमिगत सुविधाएं बंद कर दी जाती हैं।

राउत और आव्हाड ने सरकार व ट्रस्टियों से पवित्र स्मारक को नुकसान न पहुंचाने और दलितों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करने का आग्रह किया। उन्होंने आशंका जताई कि नया पार्किंग स्थल दीक्षाभूमि के विशाल गुंबद की नींव को नुकसान पहुंचा सकता है।

14 अक्टूबर, 1956 को भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने चार लाख से अधिक दलितों के साथ इस स्थान पर बौद्ध धर्म ग्रहण कर लिया था। दिसंबर 2011 में तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायणन ने यहां दुनिया के सबसे बड़े खोखले स्तूप का अनावरण किया था।

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