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लिफ्ट एक्ट पास होने के बाद जुर्माना और जवाबदेही तय, फिर भी नहीं रूके हादसे

After passing of Lift Act, fine and accountability fixed, still accidents did not stop

नोएडा, 16 मई । ग्रेटर नोएडा वेस्ट के गौर सिटी-2 स्थित रक्षा एडेला सोसायटी में बुधवार रात एक लिफ्ट में बुजुर्ग महिला और छह वर्षीय बच्ची करीब 15 मिनट तक फंसे रहे। पावर बैकअप चालू ना होने और लिफ्ट में एआरडी ना लगे होने के चलते गर्मी और अंधेरे से बुजुर्ग महिला घबरा गई और उनकी तबीयत बिगड़ गई।

महिला अपने परिवार के साथ सोसायटी के टावर-के में 10वीं मंजिल में रहती हैं। उनके बेटे रूपेश पांडे ने बताया कि उनकी मां गायत्री पांडे उनकी भतीजी के साथ सोसायटी में बने मेडिकल स्टोर पर गई थी। वापस आते समय लाइट चली गई और लिफ्ट रुक गई। लाइट वापस आने के बाद भी लिफ्ट सीधे बेसमेंट में पहुंच गई और उसका दरवाजा नहीं खुला। जिसके बाद 15 मिनट से ज्यादा फंसे होने के कारण उनकी मां की तबीयत भी खराब हो गई। उन्होंने सोसायटी फैसिलिटी टीम को लिखित शिकायत देकर लिफ्ट का सही तरीके से रखरखाव नहीं करने का आरोप लगाया है।

गौतमबुद्ध नगर की हाईराइज सोसायटी में होने वाला यह कोई पहला हादसा नहीं है। हर महीने ऐसे दर्जनों हादसे देखने को मिलते हैं। इससे पहले हुए हादसों में कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन, अपनी जमापूंजी लगाकर इन घरों में रहने को मजबूर लोग अपने आप को बेबस ही पाते हैं।

उत्तर प्रदेश विधानसभा में फरवरी में लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल 2024 पास हो गया। इस एक्ट में अब उत्तर प्रदेश की सभी लिफ्ट और एस्केलेटर आएंगे। केवल घरेलू लिफ्ट को छोड़कर बाकी सभी स्थान पर लिफ्ट ऑपरेटर रखना अनिवार्य होगा। जबकि, घरेलू लिफ्ट या एस्केलेटर पर कानून का दायरा सीमित रहेगा।

नियम के अनुसार उत्तर प्रदेश में किसी भी बहुमंजिला बिल्डिंग में लिफ्ट या एक्सीलेटर लगाने के लिए इजाजत लेनी होगी और विद्युत सुरक्षा निदेशालय में रजिस्ट्रेशन कराना होगा। उसके बाद लिफ्ट लगाने के लिए उत्तर प्रदेश शासन द्वारा गठित टीम मौके पर ऑडिट करेगी। ऑडिट के दौरान काफी शर्तें रखी जाएंगी, जिसे मानना अनिवार्य होगा।

जल्द ही कुछ औपचारिकताओं के साथ इसे लागू भी कर दिया जाएगा। लेकिन, सबसे बड़ी चुनौती इसे जिले में लागू करने की होगी। जिले में करीब 1,200 सोसायटी हैं। हजारों वाणिज्यिक, औद्योगिक और संस्थागत संपत्तियों के करीब 50 हजार लिफ्टों को कानून के तहत क्रियाशील करना एक बड़ी मेहनत और चुनौती का काम है।

फरवरी में पास हुए इस एक्ट को पूरी तरीके से अभी तक लागू नहीं किया जा सका है। कौन सा विभाग इसकी जिम्मेदारी लेगा और कौन इसके लिए जिम्मेदार होगा, इसकी जवाबदेही भी अभी तय नहीं हुई है।

नोएडा और ग्रेटर नोएडा में एकाएक बहुमंजिला इमारत की संख्या काफी बढ़ गई है। लोगों की सहूलियत के लिए इन इमारतों में लिफ्ट भी लगाई गई है, जिनकी देखरेख या तो बिल्डर या फिर अपार्टमेंट ऑनर एसोसिएशन (एओए) करते हैं। यह अपनी सहूलियत के हिसाब से लिफ्ट का मेंटेनेंस करवाते हैं, जिसके चलते हादसे होते रहते हैं।

नियम के मुताबिक अब जो लिफ्ट लगेगी, उनमें ऑटो रेस्क्यू डिवाइस लगा होगा। इसका मतलब होता है कि अगर बिजली या तकनीकी खराबी होने की वजह से लिफ्ट रूक जाती है तो नजदीकी फ्लोर पर अपने आप आकर दरवाजा खुल जाएंगे। इसकी वजह से लोगों की जान नहीं जाएगी और जनहानि नहीं होगी। प्रारूप के मुताबिक थर्ड पार्टी का बीमा करवाना होगा। जिससे कोई हादसा होने पर पीड़ित को भी मुआवजा दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा गौतमबुद्ध नगर और गाजियाबाद जिले के लाखों लोगों को मिलेगा।

दरअसल, गाजियाबाद के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सैकड़ों हाउसिंग सोसायटी में हजारों की संख्या में लिफ्ट लगी हैं। जिनके रखरखाव और मैनेजमेंट को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं हैं। इसी वजह से इन शहरों में लिफ्ट से जुड़े हादसे लगातार हो रहे हैं।

बीते महीने ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक निर्माणाधीन इमारत में लिफ़्ट से जुड़ा हादसा हुआ, जिसमें 10 लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं, जिले की तमाम हाउसिंग सोसायटी में सैकड़ों लोग लिफ्ट की वजह से घायल हुए हैं। जिसके चलते लगातार लिफ़्ट क़ानून बनाने की मांग की जा रही थी।

लिफ्ट एक्ट में अब नियमों के मुताबिक लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम के बाद दुर्घटना की स्थिति में मलिक के द्वारा पीड़ित को मुआवजा देना होगा। लिफ्ट और एस्केलेटर का रजिस्ट्रेशन एवं दुर्घटना बीमा भी करवाना जरूरी होगा।

लिफ्ट और एस्केलेटर के निर्माण, गुणवत्ता, सुरक्षा, सुविधाओं, स्थापना, संचालन और रखरखाव के लिए नियमों का पालन करना होगा। लिफ्ट और एस्केलेटर में समस्या होने पर तत्काल ठीक करवाना होगा। मालिक को वर्ष में कम से कम दो बार मॉक ड्रिल अभ्यास करवाना होगा। स्थापना एवं संचालन के संबंध में शिकायत मिलने पर मालिक अथवा संबंधित एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।

इससे बावजूद लगातार हादसे हो रहे हैंं, आम जनता सहमी हुई है और कानून के बावजूद कोई ऐसा मैकेनिज्म नहीं बन सका है, जो लिफ्ट हादसों पर रोक लगा सके

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