नई दिल्ली, 4 अगस्त । दिल्ली के कृषि विज्ञान केंद्र में 32वां एग्रीकल्चर सम्मेलन चल रहा है। 65 साल बाद भारत में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया।
इसका उद्देश्य किसानों के जीवन में सुधार लाना और कृषि में नए बदलाव लाना है। सम्मेलन में कई देशों की एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और अपना अनुभव शेयर किया।
झेजियांग विश्वविद्यालय के पीएचडी के छात्र जेन लियू ने कहा, ” मैं सम्मेलन में दुनिया भर के कई उत्कृष्ट शोधकर्ताओं के साथ विचारों का आदान-प्रदान करना चाहता हूं और प्रोफेसरों के साथ चर्चा करना चाहता हूं। मैं इंडिया गेट समेत भारत की शानदार इमारतों की वास्तुकला और सुंदरता काे देखने समझने के लिए मौके पर जाना चाहता हूं।”
अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के प्रतिनिधि डॉ. अंजनी कुमार कहते हैं, “ग्लोबल वार्मिंग एक वैश्विक मुद्दा है और वैज्ञानिक व विशेषज्ञ इसके समाधान के लिए काम कर रहे हैं। वर्तमान में, किसानों को इसके प्रभावों से बचाने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित हैं।”
घाना विश्वविद्यालय से आए डॉ. अल्फ्रेड असुमिंग बोआके ने कहा, “उन्हें जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्रौद्योगिकियों की आवश्यकता है। दो बातें जो दिमाग में आती हैं, वे हैं जल उपयोग में सुधार करना और कुशल सिंचाई प्रणालियों को लागू करना।”
एकेडमी ऑफ ग्लोबल फूड इकोनॉमिक्स एंड पॉलिसी के डीन शेंगगेन फैन ने कहा, “मैं इस सम्मेलन के आयोजन के लिए भारत सरकार को धन्यवाद देता हूं। मैंने भारत में जो बदलाव देखे हैं, उनमें खाद्य और कृषि उत्पादों की उत्पादकता में वृद्धि शामिल है, इससे कुपोषण में कमी आई है। इसके अतिरिक्त, खेती की अवधारणाओं में सुधार हुआ है।”
जीआईडीआर के पूर्व निदेशक एस.महेंद्र देव कहते हैं, “भारत चावल और अन्य फसलों के मामले में आत्मनिर्भर है, लेकिन तिलहन की हमारे पास कमी है, इसलिए हमें फसलों के विविधीकरण में सुधार करना होगा।” इस सम्मेलन की खासियत यह है कि आप दुनिया भर में कृषि के क्षेत्रों में हो रहे विभिन्न अनुसंधानों को जान सकते हैं।”
आईआरआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अलीशेर मिर्जाबाएव कहते हैं, “हम कृषि में भारतीय अनुभवों के बारे में बहुत दिलचस्प प्रस्तुतियां दे रहे हैं। मैं इस सम्मेलन के माध्यम से बहुत कुछ सीख रहा हूं, न केवल भारत की सफलताओं के बारे में बल्कि उन योजनाओं के बारे में भी, जो भारत में शोधकर्ताओं के पास भविष्य के लिए मौजूद हैं।”
इस वर्ष के सम्मेलन का विषय “ट्रांसफॉर्मेशन टुवर्ड्स सस्टेनेबल एग्री फूड सिस्टम्स” है। इसका उद्देश्य वैश्विक चुनौतियों जैसे जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत को ध्यान में रखते हुए टिकाऊ कृषि की तरफ ध्यान देना है। सम्मेलन में 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, “कृषि अर्थशास्त्रियों का अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) 65 वर्षों के बाद भारत में हो रहा है। मैं भारत के 120 मिलियन किसानों, 30 मिलियन से अधिक महिला किसानों, 30 मिलियन मछुआरों और 80 मिलियन पशुपालकों की ओर से सभी गणमान्यों का स्वागत करता हूं। आप उस भूमि पर हैं, जहां 500 मिलियन से अधिक पशुधन हैं। मैं आपका कृषि और पशु-प्रेमी देश भारत में स्वागत करता हूं। भारत जितना प्राचीन है, उतनी ही प्राचीन यहां की कृषि और खाद्यान्न को लेकर हमारी मान्यताएं और अनुभव हैं।”