चेन्नई, अन्नाद्रमुक के पूर्व अंतरिम महासचिव और दिवंगत मुख्यमंत्री जे. जयललिता की करीबी वी.के. शशिकला लोगों से जुड़ने के लिए राज्यव्यापी दौरे पर हैं। उनके इस दौरे को ओ. पनीरसेल्वम का समर्थन करने के कदम के रूप में देखा जा रहा है। 26 जून को शुरू हुए राज्यव्यापी दौरे का शीर्षक ‘पुरात्ची पायनाम’ (क्रांतिकारी यात्रा) है, यह राज्य के अधिकतर हिस्सों को कवर करेगा।
अन्नाद्रमुक से निष्कासित शशिकला यात्रा के दौरान अपने वाहन पर पार्टी के झंडे का इस्तेमाल कर रही हैं और खुद को पार्टी महासचिव बता रही हैं। उन्होंने कहा कि एआईएडीएमके उपनियम कहता है कि महासचिव का चुनाव पार्टी के प्राथमिक सदस्यों के मतदान के माध्यम से होना चाहिए, न कि एडप्पादी के. पलानीस्वामी गुट द्वारा सामान्य परिषद की बैठक के माध्यम से।
शशिकला के इस बयान को ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) के लिए समर्थन जुटाने के लिए एक अप्रत्यक्ष कदम के रूप में देखा जा रहा है।
तमिलनाडु के थेवर समुदाय ने शशिकला और ओपीएस दोनों नेताओं के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई है। थेवर दक्षिण तमिलनाडु का एक शक्तिशाली समुदाय है और हमेशा से अन्नाद्रमुक के लिए एक विश्वसनीय वोट बैंक रहा है।
हाल के शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में, अन्नाद्रमुक को थेवर के कई गढ़ों में हार का सामना करना पड़ा, जिसमें थेनी और तिरुनेलवेली जिले भी शामिल थे। इसका कारण समुदाय का पार्टी नेताओं के प्रति नाराजगी थी।
तमिल राजनीति में जाति एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
एक अन्य महत्वपूर्ण कदम में, अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (एएमएमके) के महासचिव टीटीवी दिनाकरन और वी.के. शशिकला ने कार्यकर्ताओं और नेताओं से मिलने के लिए यात्रा भी शुरू कर दी है।
जबकि उनका कहना है कि वह अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं से जुड़ रहे हैं और उनका अन्नाद्रमुक से कोई लेना-देना नहीं है।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो, शशिकला और दिनाकरण दोनों ही अन्नाद्रमुक को अपने नियंत्रण में लाने के मिशन पर हैं।