हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को कहा कि चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी अधिकार है। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश में अतिरिक्त विधानसभा भवन बनाने के राज्य के कदम को उचित ठहराया, जिससे पंजाब को काफी नाराजगी हुई।
सैनी ने कहा कि चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा परिसर का निर्माण एक गंभीर मुद्दा है और राज्य के सभी राजनीतिक दलों को राजनीति से ऊपर उठकर एकमत होकर अपनी बात रखनी चाहिए।
मंगलवार को हरियाणा विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को अपना समर्थन देते हुए कहा कि सैनी को एकजुट मोर्चा बनाने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए।
बाद में सैनी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘चंडीगढ़ पर हमारा भी अधिकार है।’’ उनसे पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी और अन्य राजनीतिक संगठनों द्वारा केंद्र द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त विधानसभा भवन के निर्माण के लिए चंडीगढ़ में 10 एकड़ भूमि आवंटित करने के कथित कदम का विरोध करने के बारे में पूछा गया था।
सैनी ने कहा कि जरूरत पड़ने पर पंजाब अपने विधानसभा भवन का विस्तार भी कर सकता है।
कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की टिप्पणी कि हरियाणा को चंडीगढ़ के बदले अपनी जमीन नहीं देनी चाहिए और इसके बजाय मौजूदा विधानसभा भवन का विस्तार करना चाहिए, पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सैनी ने कहा कि जिस क्षेत्र में वर्तमान संरचना स्थित है, उसे ‘विरासत का दर्जा’ प्राप्त है, जिसके कारण “हम वर्तमान भवन का विस्तार नहीं कर सकते”।
मंगलवार को जब पंजाब द्वारा उठाई गई आपत्ति से संबंधित मामला राज्य विधानसभा में आया तो सैनी ने कहा कि अगले परिसीमन के बाद मौजूदा विधायकों की संख्या में वृद्धि के लिए हरियाणा विधानसभा को अधिक स्थान की आवश्यकता होगी।
कांग्रेस सदस्य अशोक अरोड़ा ने पंजाब में सत्तारूढ़ आप और अन्य दलों द्वारा हरियाणा को भूमि आवंटन की रिपोर्ट पर आपत्ति जताने का मुद्दा उठाया।
राज्य विधानसभा में बोलते हुए अरोड़ा ने कहा कि पड़ोसी राज्य के नेताओं और विधायकों ने इस मुद्दे पर “गैर-जिम्मेदाराना” बयान दिए हैं। उन्होंने सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर का मुद्दा भी उठाया और कहा कि पंजाब हरियाणा को पानी नहीं दे रहा है।
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष हरविंदर कल्याण ने कांग्रेस सदस्य से कहा कि अंतरराज्यीय मुद्दा दो राज्यों से संबंधित है, इसलिए इसे सदन में यूं ही नहीं उठाया जा सकता।
उन्होंने सुझाव दिया कि हरियाणा सरकार राज्य के सभी राजनीतिक दलों को शामिल करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाए।
अरोड़ा द्वारा उठाए गए मामले में हस्तक्षेप करते हुए मुख्यमंत्री सैनी ने भी कहा कि इस मुद्दे पर एकमत होना चाहिए। सैनी ने यह भी कहा कि हरियाणा को पंजाब से एसवाईएल का पानी मिलना चाहिए।
उन्होंने कहा, “एसवाईएल के पानी पर हमारा अधिकार है।” उन्होंने कहा कि पंजाब के नेताओं ने पहले भी एसवाईएल जैसे मुद्दों का राजनीतिकरण किया है, जिससे हरियाणा के किसानों को उनके वैध हिस्से के पानी से वंचित किया गया है।
उन्होंने पंजाब सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी फैसला दिया है कि हरियाणा के किसान इस पानी के हकदार हैं। लेकिन इस तरह की हरकतें, जहां सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को भी दरकिनार किया जाता है, इस देश में नहीं होनी चाहिए।
सैनी ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब पंजाब के नेता चंडीगढ़ में हरियाणा विधानसभा परिसर के निर्माण को लेकर सवाल उठा रहे हैं।’’
मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि हरियाणा इस मुद्दे पर एकजुट है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि विधानसभा के सदस्य सर्वसम्मति से जो भी निर्णय लेंगे, सरकार उसे आगे ले जाएगी।
चंडीगढ़ में हरियाणा को 10 एकड़ भूमि आवंटित करने के केंद्र के कथित कदम के विरोध में पंजाब में सत्तारूढ़ आप के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मुलाकात की, जो चंडीगढ़ के प्रशासक भी हैं।
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से आग्रह किया कि चंडीगढ़ पंजाब का है और यहां विधानसभा भवन के निर्माण के लिए हरियाणा को एक इंच भी जमीन नहीं दी जानी चाहिए।
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कटारिया से मुलाकात करने वाले पार्टी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए कहा, “चंडीगढ़ पर पंजाब का अधिकार है और हम अपने अधिकार के लिए लड़ेंगे। हमने कहा है कि चंडीगढ़ में (विधानसभा भवन के लिए) हरियाणा को कोई जमीन आवंटित नहीं की जानी चाहिए।”
हरियाणा को 1966 में एक अलग राज्य के रूप में गठित किया गया।
केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कथित तौर पर हरियाणा सरकार द्वारा चंडीगढ़ प्रशासन को यहां दूसरा विधानसभा भवन बनाने के लिए जमीन के बदले में दी गई जमीन के लिए पर्यावरणीय मंजूरी दे दी है।
हरियाणा सरकार ने चंडीगढ़ में आईटी पार्क रोड के पास 10 एकड़ जमीन के बदले पंचकूला में 12 एकड़ जमीन देने की पेशकश की।
वर्तमान में, पंजाब और हरियाणा की अलग-अलग विधानसभाएं साझा भवन परिसर में स्थित हैं, जो दोनों राज्यों की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा सिविल सचिवालय के बगल में है।
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