N1Live National अमित शाह ने आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों को लोकसभा में किया पेश
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अमित शाह ने आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों को लोकसभा में किया पेश

Amit Shah introduced three new bills in Lok Sabha to replace IPC, CrPC and Indian Evidence Act.

नई दिल्ली, 12 दिसंबर । केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह लेने वाले तीन नए विधेयकों, भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक-2023, को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया।

इससे पहले अमित शाह ने मानसून सत्र के दौरान 11 अगस्त, 2023 को लोकसभा में पेश किए गए तीन विधेयकों, भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 को सदन से वापस ले लिया था।

आपको बता दें कि 11 अगस्त को पेश किए गए इन तीनों बिलों को उस समय अमित शाह के अनुरोध पर ही स्टैंडिंग कमेटी को भेज दिया गया था। स्टैंडिंग कमेटी की कई सिफारिशें आने के बाद सरकार ने यह तय किया कि इन तीनों पुराने बिलों को वापस लेकर नए बिलों को सदन में पेश किया जाए।

इसी आधार पर अमित शाह ने मंगलवार को मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किए गए तीनों विधेयकों, भारतीय न्याय संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक-2023, को सदन की सहमति से वापस ले लिया और फिर स्टैंडिंग कमेटी की सिफारिशों के आधार पर तैयार किए गए तीन नए बिलों, भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता विधेयक-2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक-2023, को सदन में पेश कर दिया।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के इन तीनों बिलों को जॉइंट सेलेक्ट कमेटी को भेजने की मांग को खारिज करते हुए अमित शाह ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी ने इस पर विस्तार से विचार कर अपनी सिफारिशें दी हैं और उनमें से कई सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार कर लिया है इसलिए सरकार ने यह फैसला किया कि इतने सारे संशोधन लाने की बजाय पुराने बिलों को वापस लेकर नए बिलों को सदन में पेश किया जाए।

शाह ने विपक्षी सांसदों की आपत्तियों को खारिज करते हुए कहा कि इन संशोधनों को पढ़ने के लिए सांसदों के पास 48 घंटे का पर्याप्त समय है क्योंकि उन्होंने इन बिलों को आज सिर्फ पेश किया है और इन पर सदन में 14 दिसंबर को चर्चा होगी।

उन्होंने यह भी बताया कि सरकार की तरफ से 15 दिसंबर को चर्चा का जवाब दिया जाएगा क्योंकि ये महत्वपूर्ण विधेयक हैं और वे भी इसे हड़बड़ी में नहीं लाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार इस पर सदन में लंबी चर्चा के लिए तैयार है और चर्चा के दौरान कोई अच्छा सुझाव आता है तो सरकार उसे भी बिल में शामिल कर सकती हैं। लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने तीनों बिलों पर सदन में 12 घंटे चर्चा कराने की बात कही।

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