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आंध्र प्रदेश: मेडिकल कॉलेजों के निजीकरण के खिलाफ जगन ने राज्यपाल को सौंपे एक करोड़ हस्ताक्षर

Andhra Pradesh: Jagan hands over 1 crore signatures to the Governor against the privatisation of medical colleges Andhra Pradesh: Jagan hands over 1 crore signatures to the Governor against the privatisation of medical colleges

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी ने गुरुवार को सरकारी मेडिकल कॉलेजों के निजीकरण के विरोध में जुटाए गए एक करोड़ हस्ताक्षर राज्यपाल एस. अब्दुल नजीर को सौंपे।

जगन मोहन रेड्डी ने वाईएसआरसीपी नेताओं के साथ राज्यपाल से मुलाकात की और एक औपचारिक ज्ञापन के साथ ये एक करोड़ हस्ताक्षर प्रस्तुत किए। पार्टी नेताओं के अनुसार, हस्ताक्षरों से भरे वाहन लोक भवन पहुंचे, जहां राज्यपाल कार्यालय के अधिकारियों ने दस्तावेजों की जांच की।

पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को विस्तार से बताया कि मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू सरकार के सरकारी मेडिकल कॉलेजों के निजीकरण के फैसले के खिलाफ जनता में “कड़ा विरोध” है। उन्होंने कहा कि ये हस्ताक्षर “सार्वजनिक स्वास्थ्य और सस्ती चिकित्सा शिक्षा की रक्षा के लिए लोगों की सामूहिक इच्छा” को दर्शाते हैं।

उन्होंने इस अभियान को राज्यभर में शांतिपूर्ण तरीके से कराया गया एक लोकतांत्रिक जनमत संग्रह बताया।

राज्यपाल से मुलाकात से पहले जगन मोहन रेड्डी ने बी.आर. आंबेडकर सामाजिक न्याय स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि यह आंदोलन संविधानिक मूल्यों, सामाजिक न्याय और स्वास्थ्य के अधिकार पर आधारित है।

राज्यपाल से मिलने के बाद मीडिया से बातचीत में जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को तभी लाभ मिलता है जब अस्पताल सरकारी क्षेत्र में बने रहते हैं, क्योंकि निजी क्षेत्र अनिवार्य रूप से ऊंची फीस और शुल्क के जरिए लोगों का शोषण करता है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को यह भी अवगत कराया गया है कि निजीकरण का फैसला समाज के गरीब और कमजोर वर्गों को सीधे तौर पर नुकसान पहुंचाता है।

वाईएस जगन ने बताया कि पार्टी इस मुद्दे पर अदालत का भी रुख करेगी और शपथपत्र दाखिल करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि निजीकरण नहीं रोका गया तो आने वाली पीढ़ियों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा और स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह निजी हाथों में चली जाएंगी, जिससे बेलगाम शोषण का रास्ता खुलेगा।

उन्होंने यह भी कहा कि उनके कार्यकाल के दौरान शुरू किए गए 17 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से कम फीस पर बड़ी संख्या में मेडिकल सीटें उपलब्ध होंगी, जबकि पूर्ण निजीकरण से शोषण और बढ़ेगा।

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