December 23, 2024
National

आरटीआई से मिली जानकारी के बाद हमलावर हुए अन्नामलाई, कहा- कांग्रेस और द्रमुक ने श्रीलंका को कच्चातिवु सौंपने में मिलीभगत की

Annamalai became the attacker after getting information from RTI, said- Congress and DMK colluded in handing over Katchatheevu to Sri Lanka.

नई दिल्ली, 31 मार्च । तमिलनाडु के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने आरटीआई के जरिए कच्चातिवु के बारे में जानकारी मांगी थी। इस आरटीआई के जरिए जो जवाब सामने आया है, वह बेहद चौंकाने वाला है।

आरटीआई के जरिए अन्नामलाई को जो जवाब मिला है, उसके अनुसार 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तमिलनाडु में लोकसभा अभियान को देखते हुए कच्चातिवु को लेकर समझौता किया था।

इसको लेकर के. अन्नामलाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो जारी करते हुए लिखा कि कांग्रेस और द्रमुक ने श्रीलंका को कच्चातिवु सौंपने में मिली भगत की। जब भी कांग्रेस सत्ता में रही, उसे हमारे देश की सीमा, क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता को सुरक्षित रखने में दिलचस्पी सबसे कम थी।

आरटीआई से जो जानकारी के. अन्नामलाई ने साझा की, उसकी मानें तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1974 में श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के साथ एक समझौता किया था। इस समझौते के तहत श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप औपचारिक रूप से सौंप दिया गया था। इसको लेकर बताया गया कि तमिलनाडु में लोकसभा अभियान को देखते हुए इंदिरा गांधी ने यह समझौता किया था। ऐसे में संसद के आधिकारिक दस्तावेजों और रिकॉर्ड से यह स्पष्ट पता चलता है कि किस तरह भारत इस द्वीप पर अपने नियंत्रण की लड़ाई एक छोटे देश से हार गया।

इसके साथ ही इस रिपोर्ट में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की टिप्पणियों का भी हवाला दिया गया है, जिसमें नेहरू द्वारा कहा गया था कि उन्हें कच्चातिवु द्वीप पर दावा छोड़ने में कोई संकोच नहीं होगा। इसके साथ ही इसमें यह भी जिक्र है कि तब नेहरू ने कहा था कि मैं इस छोटे से द्वीप को कोई महत्व नहीं देता हूं, ऐसे में मुझे इस पर से अपने दावों को छोड़ने में कोई संकोच नहीं होगा। इसके साथ ही जवाहर लाल नेहरू ने यह भी लिखा था कि मुझे यह पसंद नहीं है कि यह मुद्दा अनिश्चित काल के लिए लंबित रहे और संसद में इसे फिर से उठाया जाए।

कच्चातिवु के बारे में बता दें कि यह पाक जलडमरूमध्य में एक छोटा सा द्वीप है, जो बंगाल की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है। यह 1976 तक भारत का हिस्सा था। इसके साथ ही बता दें कि 285 एकड़ हरित इस क्षेत्र पर श्रीलंका अब अपना हक जताता है। इसके पीछे की वजह यह रही है कि 1974-76 के बीच चार समुद्री सीमा समझौतों पर तब की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंकाई राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके ने हस्ताक्षर किए थे। फिर इसी समझौते के तहत यह कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया था, तब इस समझौते का तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि ने तीखा विरोध किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी रविवार को 1970 के दशक में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को देने के तब की इंदिरा गांधी सरकार की आलोचना की। एक न्यूज़ आर्टिकल का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर लिखा, “आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली रिपोर्ट! नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से कच्चातिवु श्रीलंका को दे दिया। इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में फिर से पुष्टि हुई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते।”

उन्होंने कांग्रेस पर भारत की एकता और अखंडता को कमजोर करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, “भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना कांग्रेस का 75 वर्षों से काम करने का तरीका रहा है।”

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