रांची में गुलियन बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से मिलते-जुलते लक्षणों से बीमार एक और बच्चे को हॉस्पिटल में दाखिल कराया गया है। इसके साथ ही इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या तीन हो गई है। दो का इलाज निजी हॉस्पिटलों में चल रहा है, जबकि एक को रांची स्थित रिम्स में दाखिल कराया गया है। तीनों मरीजों की स्थिति पर राज्य के स्वास्थ्य विभाग की सर्विलांस टीम निगरानी रख रही है।
विभाग ने राज्य के सभी जिलों के सिविल सर्जनों को इस बीमारी को लेकर पहले ही अलर्ट किया है। लगभग दस दिन पहले रांची के बूटी मोड़ स्थित एक प्राइवेट चिल्ड्रन हॉस्पिटल में इलाज के लिए लाई गई पांच साल की बच्ची के जीबीएस से पीड़ित होने की पुष्टि हुई थी, जिसका इलाज अब भी जारी है। डॉक्टरों ने उसकी स्थिति में थोड़ी सुधार बताई है, लेकिन अभी भी वह बिस्तर से उठ नहीं पा रही है।
इसी तरह कोडरमा की रहने वाली दूसरी बच्ची को पांच दिन पहले रिम्स में दाखिल कराया गया था। दोनों बच्चियां हाल में अपने परिजनों के साथ महाराष्ट्र गई थीं। वहां से लौटने के बाद दोनों गंभीर रूप से बीमार हो गईं। उनके नर्वस सिस्टम ने काम करना बंद कर दिया था। जीबीएस का पहला केस आने के बाद 31 जनवरी को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वास्थ्य विभाग के मंत्री और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी।
इस दौरान सभी जिलों के उपायुक्त और सिविल सर्जन भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े थे। मुख्यमंत्री ने इस बीमारी से मिलते-जुलते लक्षणों को लेकर किसी भी व्यक्ति के अस्वस्थ होने पर तत्काल उसकी जांच और इलाज का बेहतर प्रबंध सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
सीएम के निर्देश पर सभी जिलों में एहतियाती तौर पर स्पेशल वार्ड तैयार किए गए हैं। सरकार का निर्देश है कि स्पेशल वार्ड में वेंटिलेटर, ऑक्सीजन सप्लाई, बीमारी के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए।
रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार ने बताया कि यह बीमारी संक्रामक नहीं है, लेकिन समय पर इसका इलाज जरूरी है और इसे लेकर लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि रिम्स में ऐसे मरीजों के लिए सभी सुविधाओं से युक्त स्पेशल वार्ड बनाया गया है।
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