हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने मंगलवार को कहा कि राज्य विधायी निकाय संविधान में निहित सिद्धांतों को कायम रखते हुए संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
आज पटना स्थित बिहार विधान सभा भवन में आयोजित 85वें अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हिमाचल विधानसभा ने संवैधानिक मूल्यों को कायम रखा है, जो समाज को मजबूत बनाने तथा लोकतांत्रिक शासन को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
इस अवसर पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, राज्यसभा के उपसभापति डॉ. हरिवंश, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव, बिहार विधान परिषद के अध्यक्ष अवधेश नारायण सिंह, हिमाचल विधानसभा के उपाध्यक्ष विनय कुमार भी मौजूद थे।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि आज का विषय है कि देश के संविधान को मजबूत बनाने में लोकसभा और विधानसभाओं का क्या योगदान रहा है। पठानिया ने कहा कि हम आजाद हुए, देश को संविधान मिला, देश आगे बढ़ा, व्यवस्थाएं बनीं, संविधान बने और सभी ने संविधान को मजबूत बनाने में अपना योगदान देने का प्रयास किया।
हिमाचल के संदर्भ में बोलते हुए पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री संविधान सभा के सदस्य थे और संविधान के प्रारूपण में शामिल थे। उन्होंने कहा, “हिमाचल प्रदेश का गठन 1948 में हुआ था और 25 जनवरी 1971 को यह भारतीय गणराज्य का 18वां राज्य बना। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हिमाचल विकास के पथ पर आगे बढ़ा है और हमारे विकास सूचकांक देश में शीर्ष पर हैं।”
उन्होंने कहा कि हिमाचल विधानसभा ने 1973 में भूमि सीलिंग अधिनियम बनाया था और इसकी धारा 118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति हिमाचल प्रदेश में जमीन नहीं खरीद सकता। उन्होंने कहा कि हमने राज्य को मजबूत करने के लिए जनहित में ये सभी प्रावधान किए हैं।
पठानिया ने कहा कि संविधान एक पवित्र दस्तावेज है जो लोकतंत्र, संघवाद और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को समाहित करता है। यह हमारे देश के शासन, कानून और सामाजिक ढांचे की नींव रखता है और डॉ. बीआर अंबेडकर के शब्दों में, “संविधान एक दस्तावेज है जो देश की नीति की रूपरेखा तैयार करता है।”