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आतिशी किस्मत से बनीं विधायक, ‘आप’ के नेता उन्हें नहीं मानते नेता प्रतिपक्ष : वीरेंद्र सचदेवा

Atishi became MLA by luck, AAP leaders do not consider her as Leader of Opposition: Virendra Sachdeva

आम आदमी पार्टी (आप) की नेता आतिशी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं कर पाने को लेकर भाजपा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन भाजपा को मुख्यमंत्री का चेहरा चुनने में कोई सफलता नहीं मिल पाई। उनके बयान पर अब दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आप (आतिशी) अकेले ऐसा उदाहरण हैं, जो कुर्सी पर बैठने के बावजूद सीएम नहीं बनीं।

दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, “दिल्ली की कार्यवाहक मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना पूछ रही हैं कि मुख्यमंत्री कौन है? मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आप तो अकेले ऐसा उदाहरण हैं, जो कुर्सी पर बैठने के बावजूद सीएम नहीं बनीं। भाजपा की जवाबदेही दिल्ली की जनता के प्रति है और हम उन्हें ही जवाब देंगे।”

उन्होंने कहा, “पांच महीनों तक आम आदमी पार्टी (आप) का मुख्यमंत्री जेल में रहा था। क्या उस समय आपने (आप पार्टी) बताया था कि कौन हैं मुख्यमंत्री? आतिशी के पास कहने को कुछ नहीं बचा है। आप (आतिशी) किस्मत से विधायक तो बन गई हैं, मगर आपकी पार्टी के ही लोग आपको नेता प्रतिपक्ष मानने को तैयार नहीं हैं। आपकी (आतिशी) पार्टी में झूठ बोलना सिखाया जाता है।”

वीरेंद्र सचदेवा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर भी एक पोस्ट शेयर किया। उन्होंने लिखा, “आम आदमी पार्टी आज आंतरिक कलह से जूझ रही है, जिसका असर उसके नेतृत्व पर साफ दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि आम आदमी पार्टी न तो मुख्यमंत्री पद की दौड़ में टिक पाईं और न ही अब नेता प्रतिपक्ष बनने की स्थिति में हैं। कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में भी उन्होंने बार-बार अपने पद की गरिमा को तार-तार किया है, मुख्यमंत्री रहते हुए मर्यादा का उल्लंघन किया और अब भी निराधार बयानबाजी कर रही हैं।”

उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी में जारी सत्ता संघर्ष पर आतिशी को कुछ बोलना चाहिए, भाजपा पर टिप्पणी करने से पहले बेहतर होगा कि वह अपनी राजनीतिक जमीन बचाने पर ध्यान दें। जब पार्टी के वरिष्ठ विधायक ही उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं, तो आम जनता का समर्थन कैसे मिलेगा?

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