N1Live National वैश्विक मंच पर भारतीय मुसलमान और देश की छवि खराब करने की कोशिश : प्रियंक कानूनगो
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वैश्विक मंच पर भारतीय मुसलमान और देश की छवि खराब करने की कोशिश : प्रियंक कानूनगो

Attempt to tarnish the image of Indian Muslims and the country on the global stage: Priyank Kanoongo

अखिल भारतीय पसमांदा मुस्लिम मंच के प्रमुख जावेद मलिक ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो से एक शिकायत दर्ज कराई है।

उन्होंने अपनी शिकायत में कहा है कि अमेरिका में स्थित इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता के नाम से पत्रकारों को भारत में अल्पसंख्यक समुदाय और अनुसूचित जाति वर्ग के साथ हो रहे उत्पीड़न और भेदभाव से संबंधित खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करने के लिए बड़े पैमाने पर अनुदान दे रहा है।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने आईएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि शिकायतकर्ता जावेद मलिक ने मुझे खुद इस बारे में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने यह भी कहा है कि जब इस तरह की रिपोर्ट्स प्रकाशित होती हैं, तो निसंदेह वैश्विक मंच पर भारत की छवि धूमिल होती है।

प्रियंक कानूनगो ने कहा कि जावेद मलिक ने हमें थिंक टैंक की रिपोर्ट के साथ यह शिकायत दी है। उस थिंक टैंक की रिपोर्ट यह कहती है कि जब पत्रकार अल्पसंख्यक समुदाय और अनुसूचित जाति के संबंध में उत्पीड़न की खबरों को प्रमुखता से प्रकाशित करेंगे, तो उसके एवज में उनसे संबंधित मीडिया हाउस यह गारंटी पत्र भी लेंगे कि इस अखबार का कितना सर्कुलेशन होगा। सर्कुलेशन के आधार पर ही विदेश से उन्हें डॉलर में अनुदान प्राप्त होता है।

उन्होंने बताया कि शिकायतकर्ता ने कहा कि विदेशों से प्राप्त हो रहा अनुदान एफसीआरए का उल्लंघन है। फॉरेन कंट्रीब्यूशन को रेगुलेट करने का जो कानून है, उसमें बताया गया है कि किसी भी पब्लिशिंग हाउस, एडिटर या रिपोर्टर को बिना अनुमति के इस तरह का अनुदान नहीं दिया जा सकता है। यहां पर एफसीआरए कानून का उल्लंघन हो रहा है। हमें यह भी जानकारी मिली है कि पिछले कई वर्षों से पत्रकारों के एक वर्ग को इस तरह का अनुदान प्राप्त हो रहा है। इसी को देखते हुए विदेश मंत्रालय ने रिपोर्ट तलब कर कार्रवाई की मांग की है।

उन्होंने कहा कि भारत में विश्व के अन्य मुस्लिम देशों की तुलना में सबसे ज्यादा मुस्लिम रहते हैं। हमारा संविधान सभी को धर्मनिरपेक्षता के तहत अपने धर्म का पालन करने की इजाजत देता है। ऐसी स्थिति में चयनित रिपोर्टिंग करके देश की छवि को धूमिल करने का प्रयास किसी राष्ट्रद्रोह से कम नहीं है।

कानूनगो ने दावा किया कि हमें जानकारी मिली है कि इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) को नेशनल फ्लैन्थ्रोफी ट्रस्ट अमेरिका से भी पैसा मिलता रहा है। ऐसी स्थिति में अनुदान प्राप्त करके पूरी दुनिया में भारतीय मुसलमान और भारत की छवि को धूमिल करना गंभीर किस्म का अपराध है। हमने संबंधित मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।

उन्होंने कहा कि एफसीआरए कानून की धारा 3, 4 और 11 का घोर उल्लंघन है। इस मामले में एफआईआर दर्ज होगी, जिन्होंने पैसा लिया है।

उन्होंने दिल्ली विस्फोट मामले पर कहा कि पुलिस ने जांच शुरू की थी कि मीडिया के एक वर्ग ने इसे सीएनजी ब्लास्ट से जोड़ना शुरू कर दिया और कहा कि इसे आतंकवाद से जोड़ना नाइंसाफी है। जांच एजेंसियों को सामने आकर यह बताना पड़ा कि यह सीएनजी ब्लास्ट नहीं है। क्या इस तरह की नेरेटिव स्थापित करने के पीछे किसी विदेशी फंडिंग का तो हाथ नहीं है? क्या इसके पीछे वो लोग शामिल हैं, जिन्हें इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल की तरफ से पैसे मिले हैं?

उन्होंने कहा कि अगर इस तरह से पढ़े-लिखे लड़के आतंकवादी बन रहे हैं, तो इस प्रकार की मुस्लिम प्रताड़ना की खबरें बनाकर उन्हें प्रभावित करना, क्या उसमें भी इस तरह की खबरों का असर है? क्या इस तरह के नेरेटिव क्रिएट करने वाले जर्नलिज्म का भी असर है? इसकी भी जांच होनी चाहिए।

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