प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा पीएमएलए मामलों में त्वरित सुनवाई सुनिश्चित करने के प्रयासों के तहत गुरुग्राम के जिला एवं सत्र न्यायालय परिसर स्थित माननीय विशेष न्यायालय (पीएमएलए) ने रियल्टी फर्म एसआरएस ग्रुप से जुड़े घोटाले में शामिल व्यक्तियों और कंपनियों के खिलाफ आरोप तय किए।
अदालत ने 3 नवंबर के आदेश के तहत एसआरएस ग्रुप के प्रमोटर-डायरेक्टर अनिल जिंदल सहित अन्य आरोपियों और संबंधित कंपनियों मेसर्स एसआरएस रियल एस्टेट लिमिटेड, मेसर्स होराइजन ग्लोबल लिमिटेड और मेसर्स एसआरएस फाइनेंस लिमिटेड के खिलाफ आरोप तय किए हैं।
इस मामले में आरोपियों में अनिल जिंदल के साथ-साथ विनोद जिंदल, बिशन बंसल, राजेश सिंगला, विनोद कुमार गर्ग, नवनीत क्वात्रा, सीमा नारंग, धीरज गुप्ता और देवेंद्र अधाना शामिल हैं।
ईडी ने एसआरएस ग्रुप के खिलाफ जांच की शुरुआत 81 एफआईआर के आधार पर की थी, जो विभिन्न धाराओं के तहत फरीदाबाद, दिल्ली और सीबीआई में दर्ज की गई थीं। ग्रुप पर निवेशकों और बैंकों से करीब 2200 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का आरोप है।
ईडी ने बताया कि जांच में यह सामने आया कि आरोपियों ने निवेशकों को ऊंचे मुनाफे और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में आकर्षक रिटर्न का लालच देकर उनसे भारी निवेश करवाया। साथ ही, निवेशों से प्राप्त धनराशि को एसआरएस ग्रुप की सैकड़ों शेल कंपनियों में स्थानांतरित कर धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) किया गया।
ईडी के प्रेस नोट के अनुसार, इस मामले में पहले ही 2215.98 करोड़ रुपए की संपत्तियों को अस्थायी रूप से जब्त करने का आदेश जारी किया जा चुका है। ईडी ने 29 अगस्त 2022 को माननीय विशेष पीएमएलए अदालत, गुरुग्राम में अभियोजन शिकायत (सीओएमए 14/2022) दाखिल की थी।
वर्तमान घटनाक्रम ने आरोपी व्यक्तियों/संस्थाओं के मुकदमे और कुर्क की गई संपत्तियों को वैध दावेदारों/घर खरीदारों को वापस करने का मार्ग प्रशस्त किया है। यह न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और धोखाधड़ी के शिकार निवेशकों के अधिकारों की रक्षा का प्रतीक है।
इससे पहले, इस मामले में तीन आरोपी, प्रवीण कुमार कपूर, सुनील जिंदल और जितेंद्र गर्ग को विशेष अदालत ने अपराधी घोषित किया था। ईडी ने इनके खिलाफ इंटरपोल से रेड कॉर्नर नोटिस जारी करने का अनुरोध किया था तथा भगोड़े आर्थिक अपराधी अधिनियम (एफईओए) के तहत भी कार्रवाई शुरू की थी।
इंटरपोल नोटिस के आधार पर प्रवीण कुमार कपूर को 2 नवंबर 2025 को अमेरिका के नेवार्क अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर प्रवेश से रोका गया और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत प्रत्यर्पित किया गया। ईडी की ओर से जारी प्रेस नोट में आगे कहा गया कि वह कानूनी प्रक्रिया के तहत वैध दावेदारों को संपत्तियों की वापसी सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा। इस मामले में आगे की जांच जारी है।

