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भोजशाला परिसर सर्वेक्षण समाप्त, क्या एएसआई अपनी अंतिम रिपोर्ट अदालत को सौंपेगा या आगे और समय की मांग करेगा?

Bhojshala premises survey over, will ASI submit its final report to the court or ask for more time?

भोपाल, 26 जून । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) मध्य प्रदेश के धार जिले में 13वीं शताब्दी का स्मारक कहे जाने वाले भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ पूरा कर चुकी है।

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इसके ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ की अनुमति 11 मार्च को दी थी, और बाद में 29 अप्रैल को आठ सप्ताह का अतिरिक्त समय दिया था, जो गुरुवार को समाप्त हो जाएगा। पिछले 98 दिनों तक इस स्थल की खुदाई करने वाली एएसआई को अपनी रिपोर्ट 2 जुलाई को उच्च न्यायालय को सौंपनी है, क्योंकि मामले में अगली सुनवाई के लिए 4 जुलाई की तारीख तय की गई है।

क्या एएसआई को इस विशेष परिसर पर दो समुदायों के विवादास्पद दावों की जांच के लिए कुछ ठोस सबूत मिले हैं या वह सर्वेक्षण के लिए और समय की मांग करेगा? यह 4 जुलाई को स्पष्ट हो जाएगा।

हालांकि, 29 अप्रैल को पिछली सुनवाई में एमपी हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने कहा था कि वह इसके लिए और समय नहीं देगी और एएसआई को 27 जून तक अपना सर्वेक्षण पूरा करने और 2 जुलाई तक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।

आईएएनएस ने इसको लेकर सांस्कृतिक मंत्रालय में एक वरिष्ठ अधिकारी (अतिरिक्त महानिदेशक-एएसआई) से संपर्क किया, जिनकी देखरेख में एएसआई टीम ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ कर रही है, हालांकि, अधिकारी ने इस संदर्भ में कोई भी बयान देने से मना कर दिया क्योंकि मामला उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है।

हालांकि, भोजशाला मुक्ति यज्ञ के संयोजक गोपाल शर्मा, जो हिंदुओं के प्रतिनिधि के रूप में सर्वेक्षण के दौरान मौजूद रहे ने प्रेस से बात करते हुए दावा किया कि एएसआई को भगवान शिव और ‘वासुकी नाग’ (सात फन वाला सांप) की पौराणिक मूर्तियों सहित कई पुरातात्विक अवशेष मिले हैं।

विशेष रूप से एएसआई ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक निर्देश के बाद इस साल मार्च में भोजशाला मंदिर-कमल मौला मस्जिद परिसर का ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ शुरू किया है, इसमें विवादित स्थल के ‘असली चरित्र, प्रकृति और स्वरूप’ का पता लगाने की मांग की गई थी।

सर्वेक्षण के दौरान, 1,700 से अधिक कलाकृतियां उजागर हुई हैं, जिनमें कई मूर्तियां, संरचनाएं, स्तंभ, दीवारें और भित्ति चित्र शामिल हैं। एएसआई ने परिसर की खुदाई के दौरान पाए गए पत्थरों, खंभों का ‘कार्बन डेटिंग’ सर्वेक्षण भी किया। संपूर्ण सर्वेक्षण प्रक्रिया उच्च न्यायालय के निर्देश का पालन करते हुए और दोनों (हिंदी-मुस्लिम) पक्षों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में की गई थी।

वर्तमान में, विवादास्पद परिसर एएसआई के संरक्षण में है और हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को परिसर में वाग्देवी (सरस्वती) मंदिर में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुसलमानों को प्रत्येक शुक्रवार को परिसर के एक तरफ स्थित मस्जिद में नमाज अदा करने की अनुमति है।

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