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मध्य पूर्व की नीति में बाइडेन हुए विफल

बीजिंग,स्थानीय समयानुसार 17 जुलाई को जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन मध्य पूर्व की यात्रा समाप्त कर वाशिंगटन पहुंचे, तो स्थानीय मीडिया ने रिपोर्ट जारी कर उनका मजाक उड़ाया। यात्रा से पहले बाइडेन ने घोषणा की कि अमेरिका और मध्य पूर्व द्विपक्षीय संबंधों में नया अध्याय खोलेंगे। ऊर्जा मुद्दा बाइडेन की इस यात्रा का अहम प्रबंध है। इजराइल पहुंचते समय अमेरिकी श्रम मंत्रालय ने जून माह में अमेरिका के सीपीआई आंकड़े जारी किए, जिनमें 41 वर्षों में सबसे ज्यादा इजाफा हुआ है। अमेरिका में बाइडेन की समर्थन दर में भारी गिरावट आयी है। सऊदी अरब को तेल और गैस के उत्पादन को बढ़ाने के लिए समझाना बाइडेन की मध्य पूर्व यात्रा का एक अहम मुद्दा है।

लेकिन बाइडेन और सऊदी अरब के नेताओं के बीच वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान से जाहिर है कि सऊदी अरब ने तेल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए स्पष्ट वचन नहीं दिया। सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि तेल के उत्पादन को बढ़ाना या न बढ़ाना बाजार में सप्लाई और मांग पर निर्भर करेगा। जबकि सऊदी अरब रूस के साथ ओपेक प्लस के तहत तेल उत्पादन के समझौते के मुताबिक अमेरिका के हित के लिए निश्चित ऊर्जा और विदेश नीति को नहीं बदल सकता।

साथ ही मध्य पूर्व के मित्र देशों को मजबूत करने के अमेरिका का लक्ष्य भी विफल रहा है। इराकी प्रधानमंत्री ने कहा कि इराक पहले या भविष्य में किसी क्षेत्रीय सैन्य गठबंधन में भाग नहीं लेगा। सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने कहा कि सऊदी अरब खाड़ी-इजराइल प्रतिरक्ष संघ की वार्ता में कभी नहीं भाग लेता है। मध्य पूर्व के देश यह जानते हैं कि तथाकथित नाटो का मध्य पूर्व संस्करण प्रतिरोध छेड़ने वाला एक समूह है, जो क्षेत्रीय शांति को बर्बाद करेगा।

अमेरिका चीन और रूस का मध्य पूर्व से बहिष्कार करना चाहता है, लेकिन सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि चीन सऊदी अरब का अहम व्यापारिक साझेदार, ऊर्जा बाजार और निवेशक है।

बीते 20 वर्षों में अमेरिका ने मध्य पूर्व क्षेत्र को आशा और विश्वास नहीं दिया, जबकि यहां भारी आपदा की रचना की। अमेरिका सच्चे माइने में मध्य पूर्व के विकास पर ध्यान नहीं देता है। वह केवल मध्य पूर्व को अपना साधन और शतरंज का मोहरा बनाना चाहता है।

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