November 27, 2024
National

देवभूमि द्वारका में कांग्रेस को सबसे बड़ा झटका, करीब 800 कार्यकर्ता भाजपा में शामिल

नई दिल्ली, 2 अप्रैल । जामनगर की लोकप्रिय सांसद पूनमबेन मादम के कुशल नेतृत्व में और भाजपा की विकासवादी विचारधारा के कारण कांग्रेस को एक बार फिर हलार क्षेत्र में बड़ा झटका लगा है।

जामनगर जिले में कांग्रेस नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद देवभूमि द्वारका जिले में इतिहास का सबसे बड़ा राजनीतिक परिवर्तन देखा गया है और जिले में कांग्रेस का लगभग पूरी तरह से सफाया हो गया है।

जिला कांग्रेस के महासचिव और तालुका पंचायत के विपक्ष के नेता सहित कई महत्वपूर्ण कांग्रेस नेता कांग्रेस से अलग होकर भगवा पार्टी में शामिल हो गए।

भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं में द्वारका जिला कांग्रेस के महासचिव और जिला पंचायत सदस्य ईभाभाई करमूर, विपक्ष के नेता और तालुका पंचायत सदस्य योगेशभाई नंदनिया, तालुका पंचायत सदस्य लक्ष्मणभाई चावड़ा, द्वारका कांग्रेस ओबीसी सेल के अध्यक्ष किशनभाई भाटिया, तालुका पंचायत सदस्य मालसीभाई दहिया, द्वारका जिला युवा कांग्रेस अध्यक्ष सावन करमूर, खंभालिया के एपीएमसी निदेशक बाबूभाई गोजिया और 14 सरपंचों सहित 800 कांग्रेस कार्यकर्ता शामिल हैं।

जामनगर की सांसद पूनमबेन मादम, राज्य के कैबिनेट मंत्री मुलुभाई बेरा और जिला भाजपा अध्यक्ष मयूरभाई गढ़वी ने खंभालिया में एक बैठक में सभी कांग्रेस नेताओं का स्वागत किया।

पूनमबेन मादम ने कहा, “देश की तरह जामनगर लोकसभा क्षेत्र में भी कांग्रेस मुक्त का माहौल बन गया है। भारत के लोगों ने भी देश को कांग्रेस से मुक्त करने का फैसला किया है।” उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता हमारे प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को विकसित बनाने के लिए जुट हो गए हैं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विकासात्मक सोच और पूनमबेन मादम के कार्यों के कारण देवभूमि द्वारका जिले में कांग्रेस पार्टी को सबसे बड़ा झटका लगा है।

दलबदल कर इन नेताओं ने कांग्रेस के नेतृत्व और उसकी विचारधारा में अपनी आस्था की कमी का स्पष्ट संकेत दिया है। इतने सारे कांग्रेस सदस्यों के दलबदल के कारण द्वारका जिले में कांग्रेस का अस्तित्व लगभग समाप्त हो गया है।

इस घटना को गुजरात में राजनीतिक समीकरण में एक बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है, जहां भाजपा राज्यभर में अपनी शक्ति मजबूत कर रही है और पारंपरिक कांग्रेस गढ़ों तक भी अपनी पहुंच बढ़ा रही है।

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