नई दिल्ली, 30 मई । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को कन्याकुमारी साधना करने जा रहे हैं। इसको लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज है। विपक्ष उनके इस कदम को जहां मार्केटिंग बता रहा है, वहीं बीजेपी इसे प्रधानमंत्री की निजी आस्था कह रहा है।
2019 के लोकसभा चुनाव के संपन्न होने के बाद भी पीएम मोदी केदारनाथ ध्यान करने गए थे, लेकिन इस बार प्रधानमंत्री ऐसे वक्त में ध्यान करने जा रहे हैं, जब सातवें चरण का चुनाव बाकी है। सातवें चरण का चुनाव एक जून को होना है।
विपक्ष उनके इस कदम को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बता रहा है। विपक्ष का कहना है कि ऐसे वक्त में जब चुनाव संपन्न भी नहीं हुए हैं, प्रधानमंत्री अपने राजनीतिक फायदे के लिए कन्याकुमारी का रुख कैसे कर सकते हैं? विपक्ष के इन्हीं आरोपों का अब बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला और आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जवाब दिया है।
शहजाद पूनावाला ने कहा, “कांग्रेस और इंडिया अलायंस के दिवालियापन की कोई सीमा नहीं है। 30 तारीख को चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद अगर कोई अपनी आस्था के केंद्र में जाकर तपस्या करना चाहता है, तो विपक्षियों को इससे क्या परेशानी है? प्रधानमंत्री को स्वामी विवेकानंद जी से प्रेरणा मिलती है और वो कन्याकुमारी तपस्या करना चाहते हैं, तो विपक्षियों को मिर्ची क्यों लग रही है? यह बात समझ से परे है। प्रधानमंत्री किसी भी राजनीतिक गतिविधियों के लिए नहीं, बल्कि मौन रखने के लिए जा रहे हैं, लेकिन विपक्षी इसे चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बता रहे हैं। प्रधानमंत्री वहां अपनी आस्था को ध्यान में रखते हुए आ रहे हैं। ऐसे में चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। सवाल तो तब पैदा होगा, जब प्रधानमंत्री वहां अपनी किसी राजनीतिक गतिविधि की वजह से जाएंगे। कोई राजनीतिक बयानबाजी देंगे, लेकिन वो वहां जाकर ऐसा कुछ नहीं करेंगे।“
बीजेपी प्रवक्ता ने आगे कहा, “इससे इंडिया गठबंधन का हिन्दू विरोधी चेहरा उजागर होता है। वहीं यह बात समझ नहीं आती कि आखिर कैसे टीएमसी का हिन्दू विरोधी चेहरा सामने आ गया। स्वामी विवेकानंद तो टीएमसी की आस्था का केंद्र रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी यह पार्टी पीएम मोदी का विरोध कर रही है। पहले ये लोग राम मंदिर का विरोध करते हैं। भगवान राम को काल्पनिक बताते हैं और इसके बाद रामचरितमानस के बारे में अपशब्द कहते हैं और अब इंडिया गठबंधन का नया हिंदू विरोधी चेहरा सामने आया है। अगर कोई हिंदू अपनी आस्था को ध्यान में रखते हुए तपस्या करना चाहता है, तो उससे भी इन लोगों को परेशानी होती है। अब विपक्षी कह रहे हैं कि पीएम मोदी को मीडिया और कैमरा लेकर नहीं जाना चाहिए, लेकिन यह सोशल मीडिया का जमाना है। आज की तारीख में हर किसी के पास अपना मोबाइल फोन है। सस्ता इंटरनेट एक्सेस है। ऐसे में अब आप बताइए कि किसी को रोका जा सकता है क्या? चंद्रयान-3 के केंद्रीय स्थल का नाम शिव शक्ति रखा जाए तो इससे भी इन लोगों को परेशानी होती है और इसके अलावा अगर पीएम मोदी राष्ट्रहित में कोई कदम उठाएं, तो इससे भी इन लोगों को परेशानी होती है।“
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “स्वामी विवेकानंद किसी राजनीतिक दल के नहीं हैं, बल्कि पूरी दुनिया के आदर्श हैं। अगर उनके सामने हम लोग नतमस्तक होते हैं, तो उसका विरोध भी टीएमसी करती है। यह दिखाता है कि इंडिया अलायंस मोदी विरोध में किस स्तर पर जा सकता है। अब राहुल गांधी भी अगर चाहें तो अपनी आस्था के अनुसार जाकर तपस्या कर सकते हैं। मैं दावे के साथ कहता हूं कि उनके इस कदम से किसी को कोई परेशानी नहीं होगी। उनसे जुड़े लोग बताते हैं कि वो अक्सर विदेश तपस्या करने जाते हैं, तो राहुल अगर चाहें, तो वहां जाकर तपस्या कर सकते हैं। उन्हें किसी ने रोका नहीं है। लेकिन इस प्रकार का कुतर्क करना इस बात को दिखाता है कि इंडिया गठबंधन अपनी हार स्वीकार चुका है।“
उधर, आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “2024 का चुनाव धर्म युद्ध है। एक तरफ वो लोग हैं, जो धर्म को बचाना चाहते हैं और दूसरी तरफ वो लोग हैं, जो धर्म के खिलाफ है। इस तरह से यह पूरा चुनाव धर्म युद्ध बन चुका है। आसुरी शक्ति से लड़ने के लिए एक आध्यात्मिक शक्ति की जरूरत होती है। पहले भी आसुरी शक्ति जब बहुत बढ़ जाती थी, तो साधु-महात्मा उससे लड़ने के लिए साधना करते थे, तो मुझे लगता है कि पीएम मोदी आध्यात्मिक शक्ति अर्जित करने के लिए स्वामी विवेकानंद की शरण में जा रहे हैं। यह आध्यात्मिक चेतना का विषय है। यह आस्था का विषय है। अब यह बात उनके समझ में नहीं आएगी, जिनकी आस्था वेटिकन में है। जिनकी आस्था विदेशों में है, इसलिए यह लोग मोदी का विरोध कर रहे हैं।“
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