December 26, 2025
Entertainment

वीर बाल दिवस : छोटी उम्र में बड़ा साहस, शानदार फिल्मों में दिखती हैं नन्हे-मुन्नों की ताकत

Brave Children’s Day: Great courage at a young age, the strength of little ones is seen in great films.

भारत में हर साल 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सिख धर्म के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतेह सिंह के अतुलनीय बलिदान की याद में समर्पित है।

कम उम्र में इन बाल वीरों ने धर्म, सत्य और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण त्याग दिए। उनका साहस और त्याग आज भी पूरे देश को प्रेरणा देता है। वीर बाल दिवस का यह अवसर हमें याद दिलाता है कि बच्चे न केवल मासूम होते हैं, बल्कि उनके अंदर साहस और इरादों की मजबूती भी छिपी होती है।

भारतीय सिनेमा ने ऐसी कई फिल्में दी हैं, जो बच्चों के साहस, संघर्ष और बलिदान को बेहद संवेदनशील तरीके से पर्दे पर पेश करती हैं।

गौरु – जर्नी ऑफ करेज:- रामकिशन चोयल के निर्देशन में बनी यह फिल्म राजस्थान के बैकग्राउंड पर है और एक चरवाहे पोते गौरु की कहानी को बखूबी पेश करती है। छोटी उम्र में गौरु विषम परिस्थितियों से लड़ते हुए अपनी दादी की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए साहसिक यात्रा पर निकलता है। ‘इच्छा तो दादी की है, म्हारी तो जिद है’, यह डायलॉग फिल्म की पूरी कहानी को समेटता है। साल 2018 में रिलीज फिल्म में अभिनेत्री इला अरुण और रित्विक सहोरे ने दादी-पोते की भूमिकाओं को बखूबी निभाया है।

धनक :- नागेश कुकुनूर साल 2016 में फिल्म लेकर आए ‘धनक’। यह फिल्म दो भाई-बहनों परी (हेटल गाडा) और छोटू (कृष छाबड़िया) की खूबसूरत और संघर्ष भरे सफर की कहानी है। अंधे भाई की आंखों की रोशनी वापस लाने के लिए बहन साहस से लंबा सफर तय करती है। राजस्थान की खूबसूरत पृष्ठभूमि में फिल्म भाई-बहन के प्यार और साहस को दर्शाती है।

आई एम कलाम :- गुलशन ग्रोवर और हर्ष मायर के शानदार अभिनय से सजी यह फिल्म साल 2011 में आई थी। नीला माधव पंडा के निर्देशन में बनी फिल्म एक गरीब राजस्थानी लड़के छोटू (हर्ष मायर) की कहानी कहती है, जो पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से प्रेरित होकर शिक्षा और सपनों का पीछा करता है। यह फिल्म सिखाती है कि कर्म से किस्मत बदली जा सकती है। फिल्म के डायलॉग ‘किस्मत कुछ नहीं होती सब कर्म होता है… कलाम बोले हैं’ में ही फिल्म का मर्म छिपा है। फिल्म को कान फिल्म फेस्टिवल में सराहना मिली थी।

तारे जमीन पर :- आमिर खान निर्देशित और निर्मित यह फिल्म डिस्लेक्सिया से जूझ रहे आठ साल के बच्चे इशान की कहानी कहती है। साल 2007 में ऐसे बच्चे की कहानी को पर्दे पर उतारा गया, जिसे स्कूल और समाज की समझ नहीं होती, लेकिन शिक्षक (आमिर खान) उसके अंदर छिपी प्रतिभा को पहचानते हैं। दर्शील सफारी के अभिनय से सजी फिल्म बताती है कि हर बच्चा खास होता है और साहस से अपनी कमजोरियों को ताकत में बदल सकता है। फिल्म को कई पुरस्कार मिले थे।

इकबाल :- नागेश कुकुनूर की यह फिल्म सुनने या बोलने में अक्षम लड़के इकबाल (श्रेयस तलपड़े) की कहानी है, जो क्रिकेटर बनने का सपना देखता है। नसीरुद्दीन शाह उसके कोच की भूमिका में हैं। फिल्म में ‘हर कोशिश में हो बार-बार’ गाने की लाइन पूरी कहानी का सार है। फिल्म दिव्यांगता के बावजूद साहस और मेहनत से सपने पूरे करने की प्रेरणा देती है। फिल्म साल 2005 में रिलीज हुई थी।

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