पंजाब के तरनतारन में पराली जलाने के मुद्दे पर किसान मजदूर संघर्ष कमेटी ने कड़ा रुख अपनाया है। कमेटी के जिला नेता हरबिंदरजीत सिंह कंग ने स्पष्ट कहा है कि किसान न तो प्रदूषण फैलाना चाहते हैं और न ही पराली को आग लगाना चाहते हैं, लेकिन ऐसा करना उनकी मजबूरी है।
किसान नेता हरबिंदरजीत सिंह कंग ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “किसान कभी भी प्रदूषण नहीं फैलाना चाहते या पराली नहीं जलाना चाहते, और अगर सुविधाएं उपलब्ध कराए जाएं तो ऐसी हरकतें अनावश्यक हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि सरकार जीएनटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रही है। किसानों को पराली को मैनेज करने के लिए 6000 रुपए का बोनस या धान बोनस देने की बात हुई थी, जिसका पालन नहीं किया गया। इसके बजाय, किसानों को धमकाया जा रहा है और उन पर केस दर्ज किए जा रहे हैं।
हरबिंदरजीत सिंह कंग ने सरकार से कहा कि किसान न तो कल केस से डरे थे और न ही आज डरेंगे। अगर पराली जलाना मजबूरी है, तो या तो उनके भरण-पोषण की सभी शर्तें पूरी की जाएं, या किसानों पर जुर्माना न लगाया जाए और न ही रेड एंट्री की जाए।
उन्होंने कहा कि हम लोग किसान और मजदूर संगठनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं। किसी भी किसान को परेशान नहीं होने देंगे। सरकार अगर कोई उपाय करे तो हम लोग इस पराली को न जलाएं।
हरबिंदरजीत सिंह कंग ने कहा कि हर साल सरकार किसानों से कई वादे करती है, लेकिन उनको पूरा नहीं करती है, जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। आज किसानों की परेशानी समझने वाला यहां कोई नहीं है।
किसान नेताओं ने कहा कि किसान और मजदूर संगठनों ने प्रस्ताव पारित किया है कि पराली को आग लगाना मजबूरी है। जब वे एसडीएम या डीसी से बेलर (पराली संभालने की मशीन) की मांग करते हैं तो वे मना कर देते हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन, राजस्व और अन्य विभागों की ड्यूटी किसानों पर केस दर्ज करने में लगा दी गई है।
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