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हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई अधिकारी गिरफ्तार

CBI officer arrested in Himachal Pradesh scholarship scam

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने हिमाचल प्रदेश में कथित छात्रवृत्ति घोटाले में अपने डीएसपी बलबीर सिंह को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी कथित घोटाले की जांच कर रहा था। एजेंसी ने उसे आज चंडीगढ़ सीबीआई कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे एक दिन की रिमांड पर भेज दिया गया।

सीबीआई ने शिमला के पूर्व सहायक निदेशक विशाल दीप के खिलाफ 22 दिसंबर 2024 को दो शिक्षण संस्थानों के निदेशकों की शिकायतों पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत एफआईआर दर्ज की है। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि ईडी अधिकारी अपने दो रिश्तेदारों की मदद से जांच में उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी देकर पैसे वसूल रहा था। वहीं विशाल दीप ने आरोप लगाया कि डीएसपी और शिकायतकर्ताओं में से एक ने शिकायतकर्ता को गिरफ्तार न करने और उसके खिलाफ आरोपों को कमजोर करने के लिए उसे रिश्वत लेने के लिए प्रेरित करने की कोशिश की।

सरकारी वकील नरेंद्र सिंह ने रिमांड की मांग करते हुए अदालत को बताया कि आरोपी डीएसपी ने 14 दिसंबर 2024 को होटल ललित में शिकायतकर्ता विशाल दीप के साथ बैठक की मध्यस्थता की थी और 55 लाख रुपये की रिश्वत की रकम पर बातचीत की थी। डीएसपी सीबीआई द्वारा जांचे गए कथित छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में आईओ था और इसलिए, शिकायतकर्ता से बहुत अच्छी तरह परिचित था।

बलबीर सिंह के मोबाइल के सीडीआर विश्लेषण से भी इस बात की पुष्टि होती है कि वह उस दिन होटल में मौजूद था। उसने एरोसिटी रोड, जीरकपुर के पास अन्य आरोपियों को रिश्वत पहुंचाने में भी मदद की थी।

ट्रैप कार्यवाही के दौरान रिश्वत की रकम पहुंचाने से ठीक पहले शिकायतकर्ता के साथ उनकी टेलीफोन पर हुई बातचीत की दो आपत्तिजनक रिकॉर्डिंग मौजूद हैं। पूछताछ के दौरान विशाल दीप ने यह भी खुलासा किया था कि बलबीर सिंह ने दिसंबर में हुई बैठक के दौरान रिश्वत की राशि पर बातचीत के लिए मध्यस्थता की थी।

सरकारी वकील ने कहा कि शेष एक लाख रुपये की रिश्वत राशि की वसूली के लिए सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि सीबीआई यह जानना चाहती है कि अन्य आरोपियों के साथ मिलकर अपराध को अंजाम देने के लिए किस तरह की साजिश रची गई। उन्होंने दूसरे देश के एक व्हाट्सएप नंबर का इस्तेमाल किया और जांगी ऐप के जरिए शिकायतकर्ता से बात की।

दूसरी ओर, आरोपियों के वकील पीके डोगरा और विनोद शर्मा ने आरोपों से इनकार किया और रिमांड का विरोध किया। दोनों ने कहा कि डीएसपी ने घोटाले में शिकायतकर्ता के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया था और उन्हें मामले में झूठा फंसाया गया है।

दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को एक दिन की रिमांड मंजूर कर ली तथा उसके वकीलों की यह याचिका भी स्वीकार कर ली कि उन्हें सीबीआई कार्यालय में उससे मिलने की अनुमति दी जाए।

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