एक स्थानीय अदालत ने चंडीगढ़ राज्य सहकारी बैंक के वरिष्ठ क्लर्क जसविंदर सिंह को बरी कर दिया है, जिन्हें 15 साल पुराने धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया गया था, क्योंकि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में विफल रहा।
पुलिस ने चंडीगढ़ स्टेट कोऑपरेटिव बैंक, सेक्टर 22 के महाप्रबंधक सुखचैन सिंह की शिकायत पर 15 नवंबर, 2020 को आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 477-ए के तहत दंडनीय अपराधों के लिए मामला दर्ज किया था।
शिकायत में सुखचैन सिंह ने कहा था कि 3 जुलाई 2009 को सेक्टर 26 शाखा के रिकॉर्ड की जांच करने पर पता चला कि आरोपी ने जनरल लेजर में कई प्रविष्टियां की थीं, जो जाली और झूठी थीं और डे बुक प्रविष्टियों से मेल नहीं खाती थीं। बुड़ैल शाखा में भी विसंगतियां और जाली प्रविष्टियां पाई गईं, जहां आरोपी पहले काम कर चुका था। आरोप है कि आरोपी ने 18 लाख रुपये से अधिक की हेराफेरी की।
प्रथम दृष्टया मामला पाते हुए, 20 सितंबर, 2021 को आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए गए, जिसमें उसने खुद को निर्दोष बताया और मुकदमे की मांग की।
सरकारी अभियोजक ने तर्क दिया कि अभियोजन पक्ष ने गवाहों की जांच करके आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों को विधिवत साबित कर दिया है।
दूसरी ओर, बचाव पक्ष की वकील अलीशा शारदा और अंचल जैन ने तर्क दिया कि आरोपी को झूठा फंसाया गया है और अभियोजन पक्ष उसके खिलाफ आरोप साबित करने में विफल रहा है।
बचाव पक्ष के वकील ने आगे कहा कि अभियोजन पक्ष, आरोपी द्वारा अपने खाते में या अपने रिश्तेदारों या परिवार के सदस्यों के खातों में कथित गबन की गई राशि जमा करने का ब्यौरा रिकार्ड में लाने में विफल रहा है।
दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपी को बरी कर दिया।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने न तो यह दर्शाने के लिए कोई दस्तावेज पेश किया कि कथित गबन की गई राशि आरोपी द्वारा अपने खाते में या अपने रिश्तेदारों के खाते में जमा कराई गई थी, न ही वह यह दर्शा पाया कि आरोपी की ओर से तीसरे व्यक्ति द्वारा यह राशि शिकायतकर्ता के बैंक में वापस जमा कराई गई थी।
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