थानेसर नगर परिषद की बैठक के दौरान थानेसर के कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा के साथ दुर्व्यवहार की घटना पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस विधायकों ने आज हरियाणा विधानसभा से बहिर्गमन किया।
यह मुद्दा तब उठा जब विधानसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष मूलचंद शर्मा, जो अरोड़ा की दुर्व्यवहार संबंधी शिकायत की जांच कर रहे हैं, ने अपनी अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए और समय मांगा।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि जिन लोगों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन की शिकायत की गई थी, वे बैठक में शामिल होने के योग्य नहीं थे। उन्होंने आगे कहा, “मैंने वीडियो देखा था। मैंने एसपी (कुरुक्षेत्र) से बात की थी, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। एक थाना प्रभारी विधायक विनेश फोगट का फोन नहीं सुन रहा है। अधिकारी सिरसा विधायक की बात नहीं सुन रहे हैं। लेकिन (कांग्रेस के निर्वाचन क्षेत्रों में) छाया विधायक नियुक्त किए गए हैं और वे हमारे निर्वाचन क्षेत्रों में जा रहे हैं, और उनके नाम उद्घाटन बोर्डों पर दिखाई दे रहे हैं।”
सैनी ने कहा कि जिस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत की गई थी, वह अरोड़ा का करीबी दोस्त था। उन्होंने कहा, “वो लोग तो एक ही थाली में खाते थे।”
अरोड़ा ने पलटवार करते हुए कहा, “एक राजा को न्याय करना होता है… ‘हरिश्चंद्र बनो, न की धृष्टराष्ट्र’।” उन्होंने शिकायत की कि उनके साथ हुई बदसलूकी के बाद मुख्यमंत्री ने बयान दिया था कि पार्षद अपनी पत्नियों को छोड़ने वहां गए थे।
सैनी ने जवाब दिया कि विशेषाधिकार समिति को सभी पक्षों की बात सुनने के बाद शिकायत पर फैसला करना था। उन्होंने कहा, “जिन लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, वे भी हमारे जैसे लोगों द्वारा ही चुने गए हैं।”
मुख्यमंत्री की टिप्पणी के बाद, हुड्डा, बी.बी. बत्रा, गीता भुक्कल और अरोड़ा सहित कांग्रेस विधायकों ने विरोध जताया और सदन से बहिर्गमन किया। बत्रा एक मुद्दा उठाना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी गई।