पंचकूला की सिविल जज (जूनियर डिवीजन) अरुणिमा चौहान की अदालत ने नगर निगम को सेक्टर 27 स्थित वृद्धाश्रम के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। अदालत ने नगर निगम और अन्य सरकारी कार्यालयों को अगली सुनवाई के दौरान संपत्ति की वर्तमान स्थिति और इसके रूपांतरण की आवश्यकता के संबंध में अपने जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
शहर के निवासी पंकज चांदगोठिया ने राज्य सरकार, स्थानीय निकाय विभाग और नगर निगम के खिलाफ मामला दर्ज कराया था, जिसमें कहा गया था कि नगर निगम ने वृद्धाश्रम को विश्राम गृह में बदलने के लिए अपनी आगामी बैठक में चर्चा और पारित करने के लिए एक प्रस्ताव तैयार किया था। चांदगोठिया ने कहा कि सात मंजिला वृद्धाश्रम में 90 कमरे हैं और यह उन वरिष्ठ नागरिकों के रहने के लिए बनाया गया था, जिन्हें वित्त की कमी या अपने बच्चों द्वारा त्याग दिए जाने के कारण देखभाल और आराम की आवश्यकता होती है। उन्होंने मांग की कि नगर निगम और अन्य सरकारी विभागों को संपत्ति के रूपांतरण का कदम उठाने से रोका जाए। उन्होंने कहा कि उनके पास एजेंडा पारित करने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि वृद्धाश्रम राज्य सरकार द्वारा अनुमोदित परियोजना है, जिसे राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों द्वारा निहित कर्तव्यों को पूरा करने और बेसहारा वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान और जीवन के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
एम.सी. के वकील ने कहा कि परियोजना पर विचार-विमर्श चल रहा था तथा वाद समय से पूर्व दायर किया गया था।
मामले के अवलोकन के दौरान, न्यायालय ने कहा कि निगम के वकील ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि रूपांतरण के लिए परियोजना पर बातचीत चल रही है, जिससे उनकी मंशा पूरी तरह स्पष्ट हो जाती है। इसके बाद न्यायालय ने नगर निगम को आदेश दिया कि वह संपत्ति की वर्तमान स्थिति और रूपांतरण की आवश्यकता के संबंध में विस्तृत जवाब दाखिल होने तक संपत्ति की यथास्थिति बनाए रखे। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
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