जनसुराज पार्टी की ओर से बिहार के पूर्णिया जिले के कसबा विधानसभा के गढबनैली में आयोजित बिहार बदलाव रैली में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। खास बात यह रही कि इस जनसभा में महिलाओं की उपस्थिति सबसे अधिक रही, जो कि राजनीतिक दृष्टिकोण से एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है। हालांकि, इस उत्साहपूर्ण भागीदारी के बीच एक चौंकाने वाली सच्चाई भी सामने आई। अधिकांश लोगों को यह ही नहीं पता था कि मंच पर भाषण देने वाले नेता कौन थे।
रैली में आईं महिलाओं से आईएएनएस टीम ने बातचीत की, तो पता चला कि उन्होंने भाषण तो सुना, लेकिन उन्हें यह जानकारी नहीं थी कि नेता का नाम क्या है और वे किस पार्टी से हैं। कई महिलाओं ने कहा कि उन्होंने प्रशांत किशोर का नाम तो सुना है, लेकिन वे उन्हें पहचान नहीं पाईं। कुछ ने कहा कि जो बोले वो अच्छा बोले, परंतु पार्टी का नाम तक नहीं पता।
बीबी रबीना खातून, पूर्णिया की एक महिला, ने कहा, “हमने तो भाषण सुन लिया लेकिन नेता का नाम नहीं पता।” इसी तरह हीना खातून (कसबा) ने भी यही बात दोहराई, “हां, भाषण तो अच्छा था, पर किसका था ये नहीं मालूम। जनसुराज पार्टी सुनी है, लेकिन नेता का नाम नहीं पता।”
मंच पर प्रशांत किशोर खुद मौजूद थे और उन्होंने ही भाषण दिया था, लेकिन यह जानकारी वहां मौजूद अधिकांश लोगों को नहीं थी। कुछ लोगों को पार्टी का नाम तो मालूम था, लेकिन प्रमुख नेता के नाम से वे अनभिज्ञ थे।
स्थानीय दुकानदार रतन ठाकुर और मो. इमाम से जब सवाल किया गया कि सभा में कौन बोल रहा था, तो वे भी न पार्टी का नाम बता पाए और न ही नेता की पहचान कर सके।
हालांकि, कुछ महिलाओं ने जनसुराज और प्रशांत किशोर का नाम जरूर लिया, लेकिन जब यह पूछा गया कि आज यहां कौन भाषण देने आया है, तो वे भी भ्रमित नजर आईं।
इस स्थिति पर जनसुराज पार्टी की महिला नेता लक्ष्मी कुमारी ने कहा, “यह अशिक्षा का ही प्रभाव है। ये महिलाएं प्रशांत किशोर को नाम से जानती हैं, लेकिन पहचानती नहीं। यही तो हमारी लड़ाई है। पिछले 35 वर्षों में बिहार को क्या मिला? अब इस स्थिति को बदलने के लिए जनसुराज पार्टी सामने आई है।”