हिमाचल प्रदेश में साइबर अपराध एक बड़ा खतरा बन गया है और पिछले एक साल में राज्य के लोगों से लगभग 114 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। राज्य के साइबर सेल के अनुसार, राज्य में हर तीन में से एक व्यक्ति साइबर अपराधियों का निशाना बन रहा है।
आंकड़ों से पता चला है कि पिछले पांच वर्षों में (अप्रैल 2025 तक) राज्य में साइबर अपराध की 39,072 शिकायतें दर्ज की गईं, जिनमें से लगभग 22,000 वित्तीय धोखाधड़ी से संबंधित थीं।
राज्य सीआईडी साइबर क्राइम के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) मोहित चावला ने कहा, “साइबर जालसाज किसी को भी नहीं बख्शते। वरिष्ठ नागरिक और महिलाएं सबसे अधिक असुरक्षित हैं और अक्सर जालसाजों द्वारा उन्हें निशाना बनाया जाता है और ठगा जाता है। घोटालेबाज डिजिटल गिरफ्तारी, सेक्सटॉर्शन, स्टॉक और क्रिप्टो करेंसी मार्केट और लॉटरी में निवेश के माध्यम से अत्यधिक रिटर्न की पेशकश जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके लोगों को ठगते हैं।”
उन्होंने कहा, “इन अपराधियों से खुद को सुरक्षित रखने का एकमात्र तरीका साइबर अपराधों और उनके द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली रणनीतियों के बारे में सतर्क और जागरूक रहना है।”
पुलिस ने लोगों से सतर्क रहने और अज्ञात व संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचने को कहा है। साथ ही, संवेदनशील जानकारी, चाहे वह व्यक्तिगत हो या वित्तीय, किसी के साथ साझा करने से परहेज करने को कहा है।
लोगों को संदिग्ध नंबरों से आने वाली कॉल से बचने और अपना पासवर्ड समय-समय पर बदलने की भी सलाह दी गई है। पुलिस ने लोगों से किसी भी साइबर अपराध की सूचना तुरंत टोल-फ्री हेल्पलाइन नंबर 1930 पर देने को कहा है ताकि त्वरित समाधान हो सके।
वर्तमान में राज्य में प्रतिदिन साइबर अपराध की लगभग 350 से 400 शिकायतें सामने आ रही हैं। बढ़ते साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए, पुलिस ने कई कदम उठाए हैं जैसे राज्य भर में साइबर कमांडो की तैनाती और एक अत्याधुनिक साइबर फोरेंसिक लैब – “आई-क्रैक” (जांच-सहायता प्राप्त साइबर फोरेंसिक रिपोजिटरी विश्लेषण और कोर कीफ्रेम) की स्थापना।
Leave feedback about this