लुधियाना (पंजाब), 25 अप्रैल, 2025 (एएनआई): रक्षा विशेषज्ञ डीएस ढिल्लों ने शुक्रवार को कहा कि 1972 के शिमला समझौते को निलंबित करने का पाकिस्तान का फैसला एक “आत्मघाती” कदम था क्योंकि यह भारत को जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) का सम्मान करने के दायित्व से मुक्त करता है, जो 1971 में युद्धविराम का परिणाम था।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को निलंबित करने का तात्पर्य यह है कि भारत नियंत्रण रेखा का सम्मान करने के लिए बाध्य नहीं है और वह इसका उल्लंघन कर सकता है।
ढिल्लों ने एएनआई से कहा, “जैसे भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया है, वैसे ही पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते को निलंबित करने की धमकी दी है। मैं कहूंगा कि यह अच्छी बात है क्योंकि इससे नियंत्रण रेखा (एलओसी) का अस्तित्व भी समाप्त हो जाता है। इसका मतलब है कि भारत एलओसी का सम्मान करने के लिए बाध्य नहीं है। ये करके पाकिस्तान अपने गले में रस्सा डालेगा।”
पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा विशेषज्ञ ने कहा कि उनकी टिप्पणी “हास्यास्पद” है, क्योंकि अमेरिका ने पहले भी आतंकवाद को सहायता देने में पाकिस्तान की संलिप्तता के लिए वित्त पोषण रोकने की धमकी दी थी।
ढिल्लन ने कहा, “पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उनका देश आतंकवादियों को प्रशिक्षित करता था। उन्होंने पूरा दोष अमेरिका और पश्चिमी देशों पर मढ़ दिया है, और कहा है कि हमने उन्हें प्रशिक्षित किया क्योंकि उन्होंने ऐसा कहा। यह हास्यास्पद है क्योंकि अमेरिका ने उन्हें धन देना बंद करने की धमकी दी थी, और उस धन को आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने में लगा दिया। यह एक निराधार आरोप है। वे अमेरिका पर आरोप लगाकर अपना चेहरा बचाने की कोशिश कर रहे हैं क्योंकि उसने आतंकवाद को सहायता देने के लिए पाकिस्तान को धन देना बंद कर दिया है।”
इस बीच, कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण नहीं है कि पाकिस्तान किसके निर्देश पर आतंकवाद को मदद दे रहा है, बल्कि इस पर उन्हें जवाब देना महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ऐसी टिप्पणियां (अमेरिका पर आरोप लगाकर) करके आतंकवादी हमलों के लिए जवाबदेही से बच नहीं सकता।
एएनआई से बात करते हुए भगत ने कहा, “यह जानना महत्वपूर्ण नहीं है कि पाकिस्तान किसके निर्देश पर ऐसा कर रहा है। हमारा देश और देश की सुरक्षा महत्वपूर्ण है और अगर कोई इसमें दखल देने की कोशिश करेगा तो हम उसका जवाब देंगे। यही कारण है कि हमने इस मामले का राजनीतिकरण नहीं किया और सरकार के साथ खड़े हैं। पाकिस्तान अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकता। यह बचकानी बात है। हमें उम्मीद है कि आतंकवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि देश के लोग सुरक्षित महसूस कर सकें।”
उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार को घातक पहलगाम आतंकवादी हमले में सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी।
कांग्रेस नेता ने कहा, “सरकार को सीमा पार आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। हालांकि, उसे सुरक्षा चूक की भी जांच करनी चाहिए और इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।”
ये टिप्पणियां पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को निलंबित करने के बाद आई हैं, जिस पर 1971 के युद्ध के बाद भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच हस्ताक्षर हुए थे।
इसके अलावा, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने स्वीकार किया कि उनका देश आतंकवादी समूहों को वित्त पोषण और समर्थन दे रहा है।
एक वीडियो क्लिप जो अब वायरल हो गई है, उसमें पाकिस्तान के रक्षा मंत्री स्काई न्यूज की यल्दा हकीम से बातचीत कर रहे हैं, जब वह उनसे पूछती हैं, “लेकिन आप मानते हैं, आप मानते हैं, महोदय, कि पाकिस्तान का इन आतंकवादी संगठनों को समर्थन, प्रशिक्षण और वित्तपोषण देने का एक लंबा इतिहास रहा है?”
ख्वाजा आसिफ ने अपने जवाब में कहा, “हम करीब तीन दशक से अमेरिका और ब्रिटेन समेत पश्चिमी देशों के लिए यह गंदा काम कर रहे हैं… यह एक गलती थी और हमें इसकी कीमत चुकानी पड़ी और इसीलिए आप मुझसे यह कह रहे हैं। अगर हम सोवियत संघ के खिलाफ युद्ध में और बाद में 9/11 के बाद के युद्ध में शामिल नहीं होते, तो पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड बेदाग होता।”
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने स्काई न्यूज प्रस्तोता यल्दा हकीम को दिए साक्षात्कार में भारत के साथ संभावित “पूर्ण युद्ध” की चेतावनी भी दी है। (एएनआई)
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