दिल्ली विस्फोट के आरोपी मुज़म्मिल गनई ने कथित तौर पर जाँचकर्ताओं को बताया है कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के खिलाफ इस्तेमाल के लिए विस्फोटकों की एक बड़ी खेप उसके तीन साथियों की गिरफ्तारी के बाद नहीं पहुँचाई जा सकी। सूत्रों के अनुसार, यह खुलासा तब हुआ जब राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) गनई को 24 नवंबर को फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय ले गई ताकि घटनाक्रम को फिर से दोहराया जा सके।
सूत्रों ने बताया कि गनई ने एजेंसी को बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस ने उसके तीन साथियों को केंद्र शासित प्रदेश में विस्फोटक ले जाने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद उसकी खुद की गिरफ्तारी हुई और पूरी योजना विफल हो गई।
जांचकर्ताओं को यह भी पता चला है कि 2023 में गुरुग्राम के सोहना की दो दुकानों से भारी मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट खरीदा गया था। एनआईए की टीम गनई को सोहना ले गई, जहाँ उसने दुकानों की पहचान की। सूत्रों ने बताया कि दोनों दुकान मालिकों से पूछताछ की गई।
आगे की जाँच से पता चला कि धौज के उस किराए के कमरे में, जहाँ पहले 360 किलो विस्फोटक और हथियार बरामद हुए थे, गनई और उसके साथी उमर-उन-नबी ने एक अस्थायी प्रयोगशाला बना रखी थी। कथित तौर पर वह विस्फोटकों से लदी i20 कार चला रहा था जिसमें विस्फोट हुआ था। वहाँ उन्होंने विभिन्न रसायनों का इस्तेमाल करके घातक विस्फोटक तैयार किए। विश्वसनीय सूत्रों ने यह भी दावा किया कि दोनों ट्राइएसीटोन ट्राइपरऑक्साइड (TATP) बनाने की कोशिश कर रहे थे, जो एक बेहद अस्थिर और शक्तिशाली विस्फोटक है।


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