राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में गुरुवार को धूल भरी आंधी के बाद वायु गुणवत्ता (एक्यूआई) बिगड़ गई है। दिल्ली में शुक्रवार सुबह 7 बजे तक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 305 अंक पर बना हुआ है। केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने एक्यूआई के बारे में जानकारी दी है।
केंद्रीय प्रदूषण एवं नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, राजधानी दिल्ली में शुक्रवार सुबह 7 बजे तक औसतन वायु गुणवत्ता सूचकांक 305 अंक पर बना हुआ है, जबकि एनसीआर के शहर गुरुग्राम में 294, फरीदाबाद में 288, गाजियाबाद में 283, ग्रेटर नोएडा में 256, नोएडा में 289 अंक पर बना हुआ है।
दिल्ली के मुंडका इलाके में सबसे अधिक 419 और वजीरपुर में 422 एक्यूआई दर्ज किया गया है। इसके अलावा, राजधानी के 21 इलाकों में एक्यूआई लेवल 300 से ऊपर और 400 के बीच में बना हुआ है।
सीपीसीबी के मुताबिक, अलीपुर में 352, आनंद विहार में 362, अशोक विहार में 328, आया नगर में 328, मथुरा रोड में 344, डीटीयू में 365, द्वारका सेक्टर 8 में 388, दिलशाद गार्डन में 334, जहांगीरपुरी में 353, नरेला में 311, नॉर्थ कैंपस डीयू में 324, एनएसआईटी द्वारका में 355, ओखला में 322, पंजाबी बाग में 311, पटपड़गंज में 321, रोहिणी में 338, शादीपुर में 326, सिरी फोर्ट में 355, सोनिया विहार में 302, विवेक विहार में 324 अंक पर एक्यूआई बना हुआ है।
इसके अलावा, दिल्ली के 12 इलाकों में एक्यूआई लेवल 200 से ऊपर और 300 के बीच में बना हुआ है। बवाना में 289, बुराड़ी क्रॉसिंग में 243, डॉ. करणी सिंह शूटिंग रेंज में 290, आईजीआई एयरपोर्ट में 240, आईटीओ में 218, जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में 260, लोधी रोड में 277, मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में 249, मंदिर मार्ग में 241, नजफगढ़ में 271, नेहरू नगर में 264, उषा में 261, आरके पुरम में 265, श्री अरविंदो मार्ग में 293 अंक पर वायु गुणवत्ता सूचकांक बना हुआ है।
दिल्ली-एनसीआर में हाल ही में धूल भरी आंधी और धुंध की स्थिति देखी गई। वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक डॉ. नरेश कुमार ने बताया कि यह स्थिति दबाव ढाल (प्रेशर ग्रेडियंट) में अंतर के कारण उत्पन्न हुई है। राजस्थान में उच्च तापमान के कारण दबाव कम हो रहा है, जबकि अन्य क्षेत्रों में दबाव बढ़ रहा है। इस दबाव अंतर के कारण धूल भरी हवाएं दिल्ली-एनसीआर तक पहुंची।
मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि पश्चिमी राजस्थान में धूल भरी आंधी की संभावना है, जबकि पंजाब और हरियाणा में इसका असर कम हो सकता है।