हरियाणा सरकार द्वारा धान खरीद के लिए डिजिटल तौल मशीनों के इस्तेमाल को अनिवार्य करने के निर्देश के बावजूद, करनाल अनाज मंडियों में ज़्यादातर कमीशन एजेंट (आढ़ती) अब भी हाथ से तौलने वाले तराजू पर ही निर्भर हैं। किसानों का आरोप है कि इस प्रथा के कारण उनकी उपज कम तौली जाती है, जिससे महत्वपूर्ण कटाई के मौसम में उन्हें आर्थिक नुकसान होता है।
करनाल, घरौंडा, इंद्री, कुंजपुरा, तरौरी, निसिंग, निग्धू और असंध की अनाज मंडियों के दौरे से पता चला कि डिजिटल मशीनों को अभी व्यापक रूप से अपनाया जाना बाकी है। किसानों का कहना है कि उन्होंने नियमों को तुरंत लागू करने की मांग को लेकर बार-बार विरोध प्रदर्शन किया है।
बीकेयू (सर छोटू राम) के प्रवक्ता बहादुर सिंह मेहला ने कहा, “कुछ आढ़ती और चावल मिल मालिक आपस में मिले हुए हैं और किसानों को ठगने के लिए डिजिटल तौल मशीनों का इस्तेमाल नहीं करते। हम सरकार से ऐसे आढ़तियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने की मांग करते हैं।”
किसान नेता जगदीप औलख ने भी यही बात दोहराई: “हम सरकार के निर्देशों को लागू करने की मांग करते हैं। केवल डिजिटल मशीनें ही किसानों को धोखाधड़ी से बचा सकती हैं।”
नाम न छापने की शर्त पर एक कमीशन एजेंट ने स्वीकार किया, “हाथ से तौलने वाले तराजू से कुछ एजेंट किसानों को ठगते हैं। डिजिटल मशीनें सभी संदेह दूर करेंगी और जवाबदेही सुनिश्चित करेंगी।”