N1Live Himachal धर्मशाला की पंचायतों ने ‘स्वेच्छा से’ स्वच्छता शुल्क लगाया
Himachal

धर्मशाला की पंचायतों ने ‘स्वेच्छा से’ स्वच्छता शुल्क लगाया

Dharamshala Panchayats 'voluntarily' imposed sanitation fees

धर्मशाला ब्लॉक की कई पंचायतों ने स्वेच्छा से ग्रामीणों पर स्वच्छता शुल्क लगा दिया है। इन पंचायतों में अब हर परिवार को कूड़ा उठाने के लिए हर महीने 50 से 75 रुपये का शुल्क देना होगा। यह फैसला जनवरी और फरवरी में हुई ग्राम सभाओं में लिया गया था, ताकि लोग घर का कूड़ा खुले में न फेंके और गांवों में स्वच्छता बनी रहे।

सूत्रों का कहना है कि धर्मशाला ब्लॉक की पंचायतों ने स्वेच्छा से गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) रहने वाले परिवारों से 50 रुपये और गरीबी रेखा से ऊपर (एपीएल) रहने वाले परिवारों से 75 से 80 रुपये प्रति माह शुल्क वसूलने का फैसला किया है। छोटी दुकानों और होमस्टे के लिए 100 रुपये तक का शुल्क तय किया गया है। पंचायतों में चल रहे बड़े व्यावसायिक केंद्रों जैसे होटल, रेस्टोरेंट और स्कूल के लिए 500 से 1,000 रुपये तक का शुल्क तय किया गया है।

सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत अभियान के तहत राज्यों को ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता शुल्क लगाने का निर्देश दिया है। हालांकि ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता शुल्क लगाने के लिए सख्त आदेश नहीं दिए हैं, लेकिन उसने खंड विकास अधिकारियों (बीडीओ) को निर्देश दिया है कि वे पंचायतों को खुद ही स्वच्छता शुल्क लगाने के लिए राजी करें।

हिमाचल प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायत निदेशक राघव शर्मा कहते हैं कि पंचायतों को सफाई शुल्क लगाने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है। बल्कि, उन्हें स्थानीय निवासियों को विश्वास में लेकर स्वेच्छा से सफाई शुल्क लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एकत्रित धन का उपयोग पंचायतें अपने-अपने क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोगों की सेवाएं लेने में करेंगी।

धर्मशाला में कुछ स्थानीय पर्यावरण एनजीओ ने पंचायतों को सफाई शुल्क लगाने के लिए राजी किया है। उन्होंने बताया कि आज तक राज्य की 3,000 से ज़्यादा पंचायतों में से सिर्फ़ 200 ने ही सफाई शुल्क लगाया है।

शर्मा कहते हैं कि ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग राज्य में पंचायतों के लिए स्वच्छता बनाए रखने, स्वच्छता शुल्क लगाने और अपने क्षेत्रों में उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे का प्रबंधन करने के लिए नियम बनाने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि पंचायतें अपने स्तर पर स्वच्छता शुल्क और आसपास गंदगी फैलाने पर जुर्माने की राशि तय करेंगी।

सूत्रों का कहना है कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता एक समस्या बनती जा रही है क्योंकि हर घर में प्लास्टिक समेत ठोस कचरा निकलता है लेकिन उसके प्रबंधन या उपचार की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में ठोस कचरे को आम तौर पर नदियों, नालों या पहाड़ी ढलानों पर फेंक दिया जाता है।

धर्मशाला में जिन पंचायतों ने सफाई शुल्क लगाया है, उनमें बागनी, बागली, बल्ला जद्रंगल, बरवाला, भट्टाला, चैतडू, धागवार, नीड, मंडल, पधर, रक्कड़, सोकनी का कोट, तंग निरवाना, तंगरोट, तंगरोटी खास और ताऊ शामिल हैं। उन्होंने बीपीएल परिवारों के लिए 50 से 30 रुपये, एपीएल परिवारों के लिए 70 से 100 रुपये और व्यावसायिक भवनों के लिए 250 से 1,000 रुपये के बीच शुल्क तय किया है।

ग्रामीण विकास विभाग नियम बनाएगा कचरा संग्रहण के लिए बीपीएल परिवारों के लिए शुल्क 30 रुपये से 50 रुपये प्रति माह, एपीएल परिवारों के लिए 70 रुपये से 100 रुपये प्रति माह और व्यावसायिक भवनों के लिए 250 रुपये से 1,000 रुपये प्रति माह है। ग्रामीण विकास निदेशक ने कहा कि पंचायतों को स्वेच्छा से स्वच्छता शुल्क लगाने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। विभाग धर्मशाला के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता शुल्क लगाने की सुविधा के लिए नियम बना सकता है

Exit mobile version