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केदारनाथ यात्रा मार्ग एक सप्ताह में खोलने का प्रयास : पीडब्ल्यूडी सचिव

Efforts to open Kedarnath Yatra route in a week: PWD Secretary

देहरादून, 8 अगस्त । उत्तराखंड की केदारघाटी में आई आपदा के बाद स्थिति अब नियंत्रण में आ रही है। केदारनाथ यात्रा मार्ग अगले एक सप्ताह में फिर से खोलने की कोशिश की जा रही है। इसे लेकर काफी तेजी से काम चल रहा है।

पीडब्ल्यूडी के सचिव पंकज पांडेय ने गुरुवार को बताया कि केदारनाथ पैदल यात्रा मार्ग पर भारी बारिश के कारण लैंडस्लाइड हुआ था। सोनप्रयाग से गौरीकुंड का रास्ता क्षतिग्रस्त हो गया था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर हमारी टीम पर मौके पर पहुंची थी।

वहां पर चार बड़े हिस्से क्षतिग्रस्त हुए हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग का 150 मीटर का एक हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया है। सोनप्रयाग से गौरीकुंड के बीच दो और सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं हैं। इसके अलावा गौरीकुंड से केदारनाथ धाम की ओर जाने वाले रास्ते में कुल 29 जगहों पर सड़क खराब हुई थी।

सचिव ने कहा कि बुधवार तक 20 पैदल रास्तों को ठीक किया जा चुका था। सोनप्रयाग के बाद राष्ट्रीय राजमार्ग वाले भाग में दो जगहों पर काम शुरू कर दिया गया था। जहां डेढ़ सौ मीटर सड़क बह गई थी, वहां भी मशीन पहुंच गई है, लेकिन लगातार बारिश होने से मशीन उस पर काम नहीं कर रही है। विकल्प के तौर पर एक मोटराइज्ड ट्रॉली भी लगाने का निर्देश दिया गया है।

पंकज पाण्डेय ने बताया कि विभाग की कोशिश होगी कि एक सप्ताह के अंदर पैदल जाने के लिए उन सड़कों को तैयार कर लिया जाए। इसके साथ ही केदारनाथ धाम की ओर जाने वाले पैदल रास्ते को भी तीर्थयात्रियों के लिए चालू करने की कोशिश की जाएगी।

गौरतलब है कि 31 जुलाई की रात केदारनाथ धाम में भारी बारिश के कारण भूस्खलन हुआ था। सैकड़ों श्रद्धालु यात्रा में फंस गए थे। यात्रियों को बचाने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआएफ, वायुसेना और स्थानीय पुलिस ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। लापता लोगों को खोजने के लिए स्निफर डॉग की मदद ली गई है।

केदारनाथ घाटी में लिंचोली से भीमबली के बीच ड्रोन के माध्यम से भी एसडीआरएफ का खोज अभियान चलाया गया। सैकड़ों लोगों को हेलीकॉप्टर की मदद से सुरक्षित निकाला जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, केदारनाथ धाम में अब भी हजार से अधिक लोग मौजूद हैं, जिसमें कुछ यात्री भी शामिल हैं। अब तक 10 हजार से ज्यादा यात्रियों को निकाला जा चुका है।

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