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एक साल बाद भी हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय में कुलपति नहीं

Even after a year, there is no Vice Chancellor in Himachal Pradesh Agricultural University

पालमपुर, 24 जुलाई हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति (वीसी) का पद पिछले एक साल से खाली पड़ा है। वर्तमान में विश्वविद्यालय का संचालन कार्यवाहक कुलपति डॉ. डीके वत्स कर रहे हैं, जो 31 जुलाई को सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

चुनाव प्रक्रिया पर हाईकोर्ट की रोक राज्यपाल शिवप्रताप शुक्ला, जो कुलाधिपति भी हैं, ने तीन सदस्यीय समिति गठित की और चयन प्रक्रिया शुरू की, लेकिन समिति के सदस्यों के चयन में कुछ विसंगतियों के बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस पर रोक लगा दी, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के निर्देशों के अनुरूप नहीं थी।

मौजूदा हालात में सरकार को फिर से वरिष्ठ डीन में से ही कार्यवाहक कुलपति नियुक्त करना होगा। पिछले 46 सालों में विश्वविद्यालय में ऐसी स्थिति कभी नहीं आई। सूत्रों का कहना है कि राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच मतभेद कुलपति की नियुक्ति में देरी का कारण है।

अगस्त 2023 में डॉ. एचके चौधरी के सेवानिवृत्त होने के बाद से सरकार और कुलाधिपति कुलपति की नियुक्ति नहीं कर पाए हैं, जिससे विश्वविद्यालय के अनुसंधान, शिक्षण, शिक्षा और विस्तार गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।

तीन महीने पहले द ट्रिब्यून द्वारा इस मुद्दे को उजागर किए जाने के बाद राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, जो कुलाधिपति भी हैं, ने तीन सदस्यीय समिति गठित की और चयन प्रक्रिया शुरू की। हालांकि, समिति के सदस्यों के चयन में कुछ विसंगतियों के बाद हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी, जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के निर्देशों के अनुरूप नहीं थी।

द ट्रिब्यून द्वारा जुटाई गई जानकारी से पता चला है कि समिति का गठन नियमों के विरुद्ध तीन कारणों से किया गया था। सबसे पहले, कुलपति ने आईसीएआर के महानिदेशक की जगह उप महानिदेशक (डीडीजी) को सदस्य बना दिया। कानून के अनुसार, डीडीजी को सदस्य बनाने का कोई प्रावधान नहीं है।

दूसरा, कुलपति से उच्च पद और वेतनमान के कारण महानिदेशक ही अतीत में हमेशा चयन समिति के अध्यक्ष रहे हैं। हालांकि, कुलपति के पद के यूजीसी नामित व्यक्ति को ही अध्यक्ष बनाया गया।

तीसरा, हिमाचल प्रदेश कृषि, बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 1986 की धारा 24 (1) में कहा गया है कि “कुलपति विश्वविद्यालय का पूर्णकालिक अधिकारी होगा, जिसे कुलाधिपति द्वारा चयन समिति की सिफारिशों पर नियुक्त किया जाएगा, जिसमें निम्नलिखित तीन सदस्य होंगे: (i) कुलाधिपति का एक नामित व्यक्ति; (ii) महानिदेशक, आईसीएआर; और (iii) अध्यक्ष, यूजीसी, या उनके द्वारा नामित व्यक्ति। (2) कुलाधिपति उप-धारा (1) में निर्दिष्ट सदस्यों में से एक को चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में नामित करेंगे।”

इसके अलावा, समिति में राज्य सरकार का कोई प्रतिनिधि नहीं था और कुलाधिपति ने अधिनियम के संशोधित प्रावधानों की भी अनदेखी की, जिसमें चयन समिति में कुलपति स्तर के सरकारी प्रतिनिधियों को शामिल करने का प्रावधान किया गया था।

इस बीच, कल मीडिया से बात करते हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता विपिन सिंह परमार ने कहा कि राज्य में विश्वविद्यालय पिछले एक साल से ‘प्रमुखविहीन’ हैं।

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