पिछले दो सालों में बासमती की अच्छी कीमत मिलने के साथ ही मुक्तसर जिले में बासमती की फसल का रकबा भी बढ़ रहा है। 2022 में बासमती की बुआई करीब 70,000 हेक्टेयर में हुई थी, जो 2023 में बढ़कर 90,000 हेक्टेयर और इस साल जिले में 1.1 लाख हेक्टेयर हो गई है।
परिणामस्वरूप, धान की अन्य किस्मों के अंतर्गत आने वाला क्षेत्र, जो आमतौर पर अधिक पानी की खपत करता है और लगभग एक महीने पहले बोना पड़ता है, घट रहा है।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल बासमती की कीमतें 3,500 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहीं। इस साल दूसरे देशों में भारतीय बासमती की जबरदस्त मांग है। कृषि विभाग ने किसानों को पानी की अधिक खपत वाली किस्मों से दूर रखने के उद्देश्य से बासमती की खेती का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य भी रखा है।
मुक्तसर के मुख्य कृषि अधिकारी डॉ. गुरनाम सिंह ने बताया, “इस साल बासमती का रकबा करीब 1.1 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है, जबकि जिले में धान की अन्य किस्मों की बुवाई करीब 93,000 हेक्टेयर में की गई है। पिछले साल करीब 90,000 हेक्टेयर में बासमती की खेती हुई थी, जबकि अन्य किस्मों की खेती 1.1 लाख हेक्टेयर में की गई थी।”
उन्होंने बताया कि जिले में बासमती की मुख्य रूप से पूसा 1121, 1509 और 1847 किस्में बोई गई हैं। मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया, “बुवाई का मौसम लगभग समाप्त हो चुका है और कटाई अक्टूबर के मध्य में शुरू होगी।”
किसान हरजिंदर सिंह, बलजीत सिंह और दविंदर सिंह ने कहा, “पिछले साल हमने रिकॉर्ड पैदावार हासिल की और अच्छे दाम भी मिले, जिससे फसल के रकबे में बढ़ोतरी हुई। इसके अलावा, पिछले साल बासमती का रिकॉर्ड निर्यात भी हुआ।”
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