शिमला, 17 मई
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य सरकार एक नई ऊर्जा नीति पर विचार कर रही है, जिससे हिमाचल को विभिन्न निर्माणाधीन पनबिजली परियोजनाओं में अधिक हिस्सा मिलेगा। यह बात उन्होंने देर शाम यहां ऊर्जा विभाग की बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही
सुक्खू ने कहा, ‘उन परियोजनाओं में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा, जिनकी लागत वसूल हो गई है। इसके लिए केंद्र सरकार और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से पत्राचार शुरू किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि एकमुश्त माफी लेने के बावजूद जिन जलविद्युत परियोजनाओं का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया है, उन्हें तत्काल रद्द किया जाए और विज्ञापन प्रकाशित किया जाए। उन्होंने कहा, “हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि राज्य सरकार के लिए बिजली उत्पादन आय का मुख्य स्रोत है।”
सुक्खू ने ऊर्जा विभाग को पनबिजली परियोजनाओं के लिए पूर्व-कार्यान्वयन और कार्यान्वयन समझौतों पर हस्ताक्षर नहीं करने के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया। साथ ही उन्होंने जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण के लिए एनओसी की प्रक्रिया को सरल बनाने के भी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि आगामी सभी पनबिजली परियोजनाओं के लिए सरकार की नीति के अनुसार जमीन 40 साल के लिए लीज पर दी जाएगी। उन्होंने कहा, “नई नीति के अनुसार, पहले दी गई छूट को हटाकर मुफ्त बिजली रॉयल्टी के आस्थगन के प्रावधान को पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाएगा।”
सुक्खू ने कहा कि राज्य सरकार को पहले 12 वर्षों के लिए 15 प्रतिशत हिस्सा, अगले 18 वर्षों के लिए 20 प्रतिशत और अगले 10 वर्षों के लिए 30 प्रतिशत के भुगतान का प्रावधान होगा। 12 फीसदी, 18 फीसदी और 30 फीसदी।
उन्होंने कहा कि राज्य में 11,149.50 मेगावॉट क्षमता की 172 जलविद्युत परियोजनाएं चालू हो चुकी हैं, जबकि 2,454 मेगावॉट क्षमता की 58 परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं। मुख्यमंत्री ने सौर ऊर्जा परियोजनाओं के निर्माण में तेजी लाने के निर्देश भी संबंधित अधिकारियों को दिए।