बेंगलुरु, 23 नवंबर । कर्नाटक पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष एच कंथाराजू गुरुवार को राज्य में जाति जनगणना विवाद के बीच आगे आए और स्पष्ट किया कि उनकी जाति जनगणना रिपोर्ट वास्तविक और वैज्ञानिक है। उन्होंने बीजेपी पर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने का आरोप लगाया।
बेंगलुरु में मीडिया से बात करते हुए, कंथाराजू ने कहा कि रिपोर्ट को पढ़े बिना उसे अवैज्ञानिक करार देना उचित नहीं है।
उन्होंने कहा, ”40 दिनों तक घर-घर जाकर सर्वे किया गया। रिपोर्ट के कई सेगमेंट हैं। सदस्य सचिव ने केवल एक सेगमेंट पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं। भाजपा राजनीतिक कारणों से इस मुद्दे को उछाल रही है।”
प्रश्नावली में जाति, लिंग, धर्म और संपत्ति सहित सभी के लिए 55 प्रश्न थे। 40 दिनों के सर्वे के बाद आंकड़ों के साथ रिपोर्ट तैयार की गई। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट अब सरकार की संपत्ति है और वह रिपोर्ट पढ़ने के बाद ही कोई निर्णय ले सकती है।
कंथाराजू ने कहा कि वोक्कालिगा और लिंगायत इसका विरोध कर सकते हैं, लेकिन पहले उन्हें रिपोर्ट का अध्ययन करने दीजिए और अगर यह गलत है, तो वे इसका विरोध कर सकते हैं।
”अगर वे अध्ययन करेंगे और कमियां बताएंगे तो मैं सहमत हो जाऊंगा। आयोग ने कड़ी मेहनत की है और यह कहना गलत है कि सदस्य सचिव के हस्ताक्षर नहीं हैं।”
कंथाराजू ने कहा, ”मैं मिसिंग ओरिजनल ब्लूप्रिंट के बारे में नहीं जानता। मैंने 2019 में रिपोर्ट जमा की थी। जब मैंने इसे जमा किया, तो ओरिजनल ब्लूप्रिंट बरकरार था। अभी दस्तावेज गायब होने की जानकारी नहीं है। जब मैं आयोग में नहीं हूं तो मेरे लिए टिप्पणी करना अनुचित है। यह कोई जाति जनगणना रिपोर्ट नहीं है, यह एक सामाजिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण रिपोर्ट है।”
जब उनसे कांग्रेस सरकार के मंत्रियों द्वारा रिपोर्ट खारिज करने के लिए ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बारे में पूछा गया, तो कंथाराजू ने कहा कि उन्होंने रिपोर्ट सौंप दी है, और अन्य लोग राय देने के लिए स्वतंत्र हैं।
रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाए, उसके बाद बयान दिए जा सकेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रही है।
जब उनसे पूछा गया कि क्या पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को रिपोर्ट नहीं मिली, तो उन्होंने बताया कि मिलने का समय मांगा गया था, लेकिन कुमारस्वामी ने समय नहीं दिया।
भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री वी. सुनील कुमार ने गुरुवार को कहा कि अगर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया वास्तव में सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, तो उन्हें जांच के लिए जाति जनगणना रिपोर्ट केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप देनी चाहिए।
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