रामपुर, 11 जुलाई । पूर्व सांसद और प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री जयाप्रदा को गुरुवार को कोर्ट से बड़ी राहत मिली। आचार संहिता उल्लंघन के मामले में कोर्ट ने जयाप्रदा को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
गुरुवार को कोर्ट में अपने अधिवक्ता के साथ जयाप्रदा पहुंची थीं। न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुनाते हुए पूर्व सांसद को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। जयाप्रदा के अधिवक्ता ने पूरे मामले में उनके पक्ष को मजबूती से रखा।
एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट (मजिस्ट्रेट ट्रायल) के न्यायाधीश शोभित बंसल ने फैसला सुनाया। न्यायालय ने अभियोजन द्वारा आरोप साबित नहीं होने पर जया प्रदा को दोषमुक्त कर दिया। जयाप्रदा ने कोर्ट से बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि न्यायालय के निर्णय से वह खुश और भावुक हैं। सत्य की जीत होती है। अदालत का बहुत धन्यवाद।
जयाप्रदा के खिलाफ वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के समय आचार संहिता उल्लंघन के दो मामले दर्ज हुए थे। इनमें एक मामला केमरी थाने का है, जिसे वीडियो निगरानी टीम के प्रभारी कुलदीप भटनागर की ओर से दर्ज कराया गया था। इसमें कहा गया था कि 18 अप्रैल 2019 को भाजपा प्रत्याशी जयाप्रदा की पिपलिया मिश्र गांव में जनसभा हुई थी। जयाप्रदा ने बसपा सुप्रीमो मायावती और आजम खां को लेकर बयान दिया था।
एक मामले में अभियोजन की गवाही पूरी होने के बाद पूर्व सांसद के बयान दर्ज होने थे। जबकि, दूसरे मामले में गवाही चल रही थी। लेकिन, पूर्व सांसद कोर्ट में पेश नहीं हो रही थीं। इसके चलते कोर्ट ने पूर्व सांसद के खिलाफ कई बार गैर जमानती वारंट जारी किए।
7 फरवरी को कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूर्व सांसद को फरार घोषित कर दिया था और पुलिस को आदेश दिए थे कि उन्हें गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाए। साथ ही सीओ के नेतृत्व में टीम गठित करने को कहा था। आचार संहिता के एक केस में गुरुवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूर्व सांसद जयाप्रदा को बरी कर दिया।
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