रोहतक के पहरावर में गौड़ ब्राह्मण सभा को आवंटित जमीन से जुड़े दावों को लेकर ब्राह्मण नेताओं के बीच बढ़ते वाकयुद्ध के बीच कांग्रेस नेता और पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा ने उन पर राजनीतिक लाभ के लिए ब्राह्मण भावनाओं से खेलने का आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि यह जमीन पिछली कांग्रेस सरकार ने आवंटित की थी।
शर्मा ने राज्य सभा सांसद कार्तिकेय शर्मा को जमीन पर सरकारी बकाया चुकाने का श्रेय दिया, जिसके बाद तत्कालीन सीएम मनोहर लाल खट्टर ने इसे बहाल करने का आदेश दिया। उन्होंने कहा, “अब, भाजपा के ब्राह्मण नेता, जिन्होंने उस समय कुछ नहीं किया, समुदाय के उद्धारक के रूप में दिखने की होड़ में हैं। वे राजनीतिक दलबदलू हैं, जिन्होंने कपड़ों से ज़्यादा पार्टियाँ बदली हैं।”
उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा कि भाजपा नेता जमीन का श्रेय लेने की होड़ में लगे हुए हैं, लेकिन विधानसभा के अंदर और बाहर उनकी भाषा असंसदीय है। उन्होंने कहा, “विधानसभा के अंदर भी ब्राह्मण नेताओं द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा असंसदीय है। उन्हें सार्वजनिक रूप से की गई अपमानजनक टिप्पणियों के लिए माफी मांगनी चाहिए।”
उन्होंने 30 मई को रोहतक में प्रस्तावित राज्य स्तरीय परशुराम जयंती कार्यक्रम का भी जिक्र किया, जिसकी अध्यक्षता सीएम नायब सिंह सैनी करेंगे। पिछले महीने पंचकूला में भी इसी तरह का राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसकी अध्यक्षता भी सीएम ने की थी। उन्होंने कहा, “मैं बार-बार परशुराम जयंती मनाने का स्वागत करता हूं, लेकिन इसे राजनीतिक लड़ाई के मैदान के रूप में इस्तेमाल करना शर्मनाक है। पहरावर की जमीन कांग्रेस के शासनकाल में गौड़ ब्राह्मण सभा को आवंटित की गई थी।”
शर्मा ने सैनी से पहरावर की जमीन पर विकास के लिए कम से कम 5 करोड़ रुपए का वित्तीय योगदान देने का आग्रह किया। “मुख्यमंत्री को वित्तीय सहायता देकर अपनी प्रतिबद्धता दिखानी चाहिए। यह उनके इर्द-गिर्द खेला जा रहा एक राजनीतिक खेल है। उन्हें कुछ समय बाद ही इन लोगों के असली मकसद का एहसास हो सकता है। यह सिर्फ जमीन या जयंती का मामला नहीं है, यह सत्ता का खेल है।”
उन्होंने पहलगाम हमले में अपने पतियों या परिवार के सदस्यों को खोने वाली महिलाओं पर की गई टिप्पणी के लिए राज्यसभा सांसद राम चंद्र जांगड़ा की भी आलोचना की और कार्रवाई की मांग की तथा उन लोगों को अयोग्य ठहराने का आह्वान किया जिनमें “संसदीय शिष्टाचार की बुनियादी समझ का अभाव है।”
भाजपा के संगठनात्मक अनुशासन को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, “कांग्रेस के पास जमीनी स्तर पर संगठन का अभाव था, यही कारण है कि परिवर्तन की जनभावना के बावजूद हम आज सत्ता में नहीं हैं।”
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