बुधवार रात को तेज़ हवाओं और ओलावृष्टि ने शिमला और किन्नौर ज़िले के कई इलाकों में सेब और गुठलीदार फलों को भारी नुकसान पहुंचाया। राज्य भर में बेर उत्पादकों को बहुत नुकसान हुआ क्योंकि पेड़ों से बहुत सारे फल गिर गए, वहीं सेब उत्पादकों को भी भारी नुकसान हुआ क्योंकि पेड़ उखड़ गए।
नुकसान को देखते हुए फल उत्पादक सरकार से मुआवजे की मांग कर रहे हैं। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने घोषणा की है कि विभाग से फल उत्पादकों को हुए नुकसान का आकलन करने को कहा जाएगा।
उत्पादकों के अनुसार, नुकसान का आकलन करने से उत्पादकों को शायद ही कोई मुआवजा या सहायता मिलती है। फल, सब्जी और फूल उत्पादक संघ के अध्यक्ष हरीश चौहान ने कहा, “2021 में देर से हुई बर्फबारी के कारण सेब उत्पादकों को भारी नुकसान हुआ था। बागवानी विभाग ने 250 करोड़ रुपये से अधिक के नुकसान का आकलन किया था, लेकिन उत्पादकों को कोई मुआवजा नहीं मिला।” उन्होंने कहा, “इसके बाद भी सूखे और बारिश के कारण उत्पादकों को नुकसान हुआ, नुकसान का आकलन भी किया गया, लेकिन शायद ही किसी को कोई सहायता मिली।”
चौहान ने आगे बताया कि कई युवाओं ने बैंकों से लोन लेकर उच्च घनत्व वाले सेब की खेती में निवेश किया था। उन्होंने कहा, “तूफान के कारण रामपुर जिले में एक पूरा उच्च घनत्व वाला बाग़ तबाह हो गया। बिना किसी मुआवज़े के इतना नुकसान सहना मुश्किल है।”
उत्पादकों के अनुसार, मौजूदा मौसम आधारित बीमा योजना से केवल मुट्ठी भर उत्पादकों को ही लाभ मिलता है, जब उन्हें प्राकृतिक आपदाओं के कारण नुकसान होता है। रोहड़ू के एक सेब उत्पादक ने कहा, “उत्तराखंड में मौसम आधारित बीमा योजना बहुत बेहतर है। सरकार को उत्पादकों के लाभ के लिए यहां भी यही योजना लागू करनी चाहिए।”
Leave feedback about this