N1Live National एफएसएसएआई ने देशी घी, पनीर, दूध और खोया के मिलावटखोरों पर वर्ष 22-23 में लगाया 22 करोड़ से अधिक का जुर्माना
National

एफएसएसएआई ने देशी घी, पनीर, दूध और खोया के मिलावटखोरों पर वर्ष 22-23 में लगाया 22 करोड़ से अधिक का जुर्माना

FSSAI imposed a fine of more than Rs 22 crore on adulterators of desi ghee, cheese, milk and khoya in the year 22-23.

भोपाल, 22 अक्टूबर। आंध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित बालाजी के मंदिर के प्रसाद में घी के स्थान पर मिलावटी घी का इस्तेमाल किए जाने के लगे आरोपों के बीच घी, पनीर, दूध और खोया में मिलावटखोरी करने वालों के खिलाफ बड़ी कार्यवाही का खुलासा हुआ है। वित्त वर्ष 2022-23 में 6,853 मिलावटखोरों पर कार्रवाई कर 22 करोड़ से ज्यादा का जुर्माना लगाया गया है।

मध्य प्रदेश के नीमच जिले से नाता रखने वाले सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बीते पांच सालों में देशी घी, पनीर, दूध और खोया के लिए गए सैंपल और उन पर हुई कार्रवाई का भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) से ब्यौरा मांगा था। गौड़ को एफएसएसएआई ने जो विवरण उपलब्ध कराया गया है उसके मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 39,091 नमूनों का परीक्षण किया गया। इनमें से 10,381 के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुए और उनमें से 6,853 को दोषी पाते हुए जुर्माना लगाया गया। लगाई गई जुर्माने की रकम 22,27,91,500 (22 करोड 27 लाख 91 हजार 500 रुपए) है।

इसी तरह वर्ष 2019-20 में एफएसएसएआई ने 12,538 नमूनों का परीक्षण किया। इनमें से 4,561 के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ और 695 को दोषी पाए जाने के साथ उन पर जुर्माना लगाया गया। इन मिलावटखोरों पर कुल 9 करोड़ 5 लाख 85 हजार 125 रुपए का जुर्माना लगाया गया। बात 2020-21 की करें तो उस वर्ष एफएसएसएआई ने कुल 9,717 नमूनों का परीक्षण किया । इनमें से 3,082 के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुआ और 525 को दोषी पाते हुए उन पर जुर्माना लगाया गया। इन मिलावटखोरों पर 6 करोड़ 62 लाख 12 हजार 595 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता गौड़ को एफएसएसएआई की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021-22 में 11,148 नमूनों का परीक्षण किया गया। इनमें से 3,959 कारोबारी पर प्रकरण दर्ज हुआ जिनमें से 552 को दोषी पाते हुए उन पर 5 करोड़ 34 लाख 71 हजार 745 रुपए का जुर्माना लगाया गया।

बीते वित्त वर्ष 2023- 24 में कुल 38,498 सैंपल लिए गए जिनका परीक्षण हुआ। इनमें से कितने लोगों पर प्रकरण दर्ज हुआ कितने लोग दोषी पाए गए हैं और उन पर कितना जुर्माना लगाया गया है यह विवरण वित्त वर्ष के छह माह बीत जाने के बाद भी आना बाकी है ,जो कि अपने आप में कुछ सवाल खड़े करता है।

सूचना के अधिकार के तहत चंद्रशेखर गौड़ को मिले जवाब के मुताबिक बीते चार साल ( वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 की अवधि ) में कुल 72,494 नमूनों का परीक्षण किया गया। इनमें से 21,983 लोगों के खिलाफ मामले दर्ज हुए और इनमें से 8,625 को दोषी मानते हुए उन पर जुर्माना लगाया गया। चार साल में कुल जुर्माना 43 करोड़ 30 लाख 60 हजार 965 रुपए लगाया गया।

वित्त वर्ष 2019-20 से 2021-22 की तीन साल की अवधि में 11,602 मिलावटखोरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुए हैं और जुर्माना मात्र 1,772 मिलावटखोरों के खिलाफ ही लगाया गया है और इन पर 21,02,69,465 रुपये का जुर्माना लगाया गया है ।

जबकि इसके ठीक अगले एक वित्त वर्ष 2022-23 में 10,381 मिलावटखोरों के खिलाफ प्रकरण दर्ज हुए हैं जिनमें से 6,853 मिलावट खोरों पर 22,27,91,500 रुपये का जुर्माना लगाया गया है । ऐसे में अकेले वित्त वर्ष 2022-23 में मिलावटखोरों पर लगाई गई राशि 22,27,91,500 रुपये है। इसके पूर्व के तीन वर्षों 2019-20 से 2021-22 की अवधि में जुर्माने पर लगाई गई राशि 21,02,69,465 रुपए है ।

सूचना के अधिकार के कार्यकर्ता गौड़ का कहना है कि मिलावटखोरी मनुष्यता के प्रति बड़ा अपराध है, इस पर सरकार को कठोरतम कार्रवाई करते हुए इन कारोबारियों पर आजीवन प्रतिबंध लगाना चाहिए।

Exit mobile version