गुवाहाटी, 2 फरवरी । पीपुल्स फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) द्वारा इस संबंध में याचिका दायर करने के बाद गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने पूरे असम में भैंसों की लड़ाई पर प्रतिबंध लगा दिया है।
गुरुवार को जारी एक आदेश में, उच्च न्यायालय ने असम के सभी जिला प्रशासनों को भैंसों की लड़ाई पर अस्थायी प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिया, जो राज्य भर में एक आवश्यक बिहू-समय प्रथा के रूप में आयोजित की जाती है।
इसके अलावा उच्च न्यायालय ने असम सरकार को इस मुद्दे के संबंध में एक कार्रवाई रिपोर्ट अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश दिया। कोर्ट ने 6 फरवरी तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया है।
जनवरी में भोगाली बिहू उत्सव के दौरान, असम में भैंसों की लड़ाई का आयोजन किया गया था। 2015 में तमिलनाडु के जल्लीकट्टू को सुप्रीम कोर्ट द्वारा गैरकानूनी घोषित किए जाने के बाद असम में इसे रोक दिया गया था।
भाजपा के नेतृत्व वाली असम सरकार ने शीर्ष न्यायालय के फैसले के बाद राज्य में भैंसों की लड़ाई की अनुमति देने के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की।
पेटा द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि प्राचीन अनुष्ठान करते समय कई कानून तोड़े गए।
इसमें कहा गया है, “सबूत के तौर पर, पेटा इंडिया ने इन झगड़ों की जांच सौंपी है, इससे पता चलता है कि भयभीत और गंभीर रूप से घायल भैंसों को पीट-पीटकर लड़ने के लिए मजबूर किया गया था, और भूखा व नशे में धुत्त करके उन्हें भोजन के लिए लड़ने के लिए मजबूर किया गया था।”