January 10, 2025
National

जीनोम इंडिया डेटा : विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, वैज्ञानिकों ने इस प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण रिसर्च की

Genome India Data: Science Minister Jitendra Singh said, scientists did important research in this project.

भारत ने विज्ञान और शोध के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ‘जीनोमिक्स डेटा कॉन्क्लेव’ में ‘जीनोम इंडिया डेटा’ का उद्घाटन किया। यह डेटा 10,000 भारतीयों के जीनोम सीक्वेंसिंग का परिणाम है, जो देश को बायोटेक्नोलॉजी और फार्मास्युटिकल हब बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस पर केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जितेंद्र सिंह ने कहा कि इस डेटा को जारी करते हुए, इसके आदान-प्रदान के लिए एक पोर्टल और दिशानिर्देश भी लॉन्च किए गए। इस डेटा का उपयोग सरकार, शोधकर्ता और अन्य संबंधित लोग बीमारियों की पहचान करने और उनके उपचार के लिए कर सकेंगे।

उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “पब्लिक हेल्थ सर्विस को सुधारने के उद्देश्य से हमारे वैज्ञानिकों ने जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट में महत्वपूर्ण रिसर्च की है, जिसके परिणामस्वरूप आज हम जेनेटिक अनुसंधान के क्षेत्र में कई देशों से आगे हैं। यह बायोजेनेटिक डेटा भविष्य में देश की जैव विविधता को समझने और उसे शीघ्र समाधान प्रदान करने में सहायक होगा। हमने जीनोम इंडिया प्रोजेक्ट के 5 साल पूरे किए हैं, जिसमें हम कोविड जैसी महामारी से भी निपटे हैं। भारत ने उस समय पूरी दुनिया को एक उदाहरण दिखाया और आज भी यह निरंतर जारी है। भविष्य में, जीन थेरेपी और डायग्नोसिस जेनेटिक पद्धतियों का हिस्सा बनेंगे और यही हमारी स्वास्थ्य व्यवस्था का अहम हिस्सा बनेंगे। डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी ने कोविड का पहला ट्रायल वैक्सीन विकसित किया था, जिसे बाद में पूरी दुनिया को दिया गया। इसके अलावा, ह्यूमन पैपिलोमा वायरस का वैक्सीन भी यहीं से विकसित हुआ है। जहां तक जीन संशोधन की बात है, इस विभाग ने हीमोफीलिया नामक रक्त विकार का इलाज भी खोज लिया है।”

भारत सरकार की डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की एडवाइजर सुचिता निनावे ने कहा, “इस प्रोजेक्ट का लाभ हमें भविष्य में बहुत अच्छे तरीके से दिखाई देगा। हमारे देश ने पूरी दुनिया के सामने एक बड़ा रिकॉर्ड स्थापित किया है। पांच साल के अंदर, जबकि कोविड महामारी भी चल रही थी, 10,000 सैंपल कलेक्शन करना और उनका डेटा निकालकर सार्वजनिक करना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। और मैं आपको बताना चाहूंगा कि इस डेटा एक्सेस पोर्टल से कोई भी जानकारी मिस नहीं हो सकती। यह पोर्टल डबल कोडिंग के जरिए बनाया गया है, जिससे आपको जेनेटिक संबंधित जानकारी तो मिलेगी, लेकिन उस सैंपल का क्षेत्र, मरीज का नाम और लोकेशन जानना लगभग असंभव है। अब तक केवल हमारे देश के डेटा वैज्ञानिक ही इस पोर्टल का उपयोग कर सकते हैं और यह केवल शोध के उद्देश्यों के लिए उपलब्ध है। भविष्य में, इसके एक्सेस को वैश्विक स्तर पर खोले जाने की भी संभावना है।”

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने इस प्रोजेक्ट को भारत की बायोटेक्नोलॉजी क्रांति का महत्वपूर्ण हिस्सा बताया। पांच साल पहले शुरू हुए इस प्रोजेक्ट को कोविड-19 महामारी की कठिनाइयों के बावजूद सफलतापूर्वक पूरा किया गया। देश के 20 से अधिक अनुसंधान संस्थानों ने इस प्रोजेक्ट में अपना योगदान दिया। अब यह डेटा भारतीय बायोलॉजिकल डेटा सेंटर (आईबीडीसी) में उपलब्ध है, जो शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए नए अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगा।”

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