भोपाल, 21 अगस्त । केंद्रीय राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन बुधवार को राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल करने मध्य प्रदेश पहुंचे। भोपाल में उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से मुलाकात की। इस दौरान, मुख्यमंत्री ने उन्हें गुलदस्ता भेंट किया। इसके बाद, वे बीजेपी कार्यालय पहुंचे।
राज्यसभा चुनाव के लिए नामांकन की आज (21 अगस्त) आखिरी तारीख है। नामांकन की प्रक्रिया 11 अगस्त को शुरू हुई थी। वहीं, नाम वापसी की अंतिम तारीख 27 अगस्त है।
उल्लेखनीय है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद मध्य प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट खाली हुई है। इसके लिए पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने केरल से आने वाले जॉर्ज कुरियन को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। जॉर्ज मूलत: केरल के एट्टुमानूर से आते हैं। वे विगत कई वर्षों से बीजेपी को अपनी सेवाएं दे रहे हैं। मध्य प्रदेश में राज्यसभा की कुल 11 सीटें हैं। इसमें से बीजेपी के पास 7 और शेष सीटें कांग्रेस के पास है। इसमें एक सीट ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस्तीफे के नतीजतन एक सीट रिक्त हुई है, जिस पर पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने जॉर्ज कुरियन को उतारा है।
लोकसभा चुनाव 2024 में ज्योतिरादित्य सिंधिया को बीजेपी ने गुना सीट से चुनावी मैदान में उतारा था। यहां उन्होंने 5 लाख 40 हजार सीटों से जीत हासिल की। केंद्रीय मंत्रिमंडल में वे दूसरी बार मंत्री बने हैं। इससे पहले, उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्रालय का प्रभार सौंपा गया था और इस बार उन्हें संचार मंत्री और पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इससे पहले वे कांग्रेस में थे, लेकिन कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व द्वारा उपेक्षित किए जाने के बाद उन्होंने बीजेपी में आने का फैसला किया। राजनीतिक प्रेक्षक बताते हैं कि उनका बीजेपी में शामिल होना कांग्रेस के लिए अपूरणीय क्षति है, जो कि गत मध्य प्रदेश विधानसभा में भी परिलक्षित हुई।
बात अगर जॉर्ज कुरियन की करें, तो केरल की राजनीति से उनका चोली दामन का साथ रहा है। उनका जन्म केरल के एट्टुमानूर के नम्बियाकुलम में हुआ था। इसके बाद, उन्होंने प्राथमिक शिक्षा के लिए कोट्टायम का रुख किया। वे सीलो मालाबार कैथोलिक चर्च के सदस्य भी हैं। इसके अलावा, उन्होंने एलएलबी में स्नातक और परास्नातक भी किया है। मौजूदा वक्त में वह मोदी सरकार में मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हैं। इससे पहले, वे राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।
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