जोधपुर, 6 जनवरी । राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत रविवार को जोधपुर में पार्टी के कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने केंद्र सरकार सहित देश की सभी भाजपा सरकारों पर पेपर लीक होने पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय में देश के विभिन्न हिस्सों में पेपर लीक की घटनाएं हुई हैं। गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, बिहार और कई अन्य राज्यों में पेपर लीक हुए हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार के नीट के पेपर भी लीक हुए। ये गैंग अब एक व्यवस्थित तरीके से पेपर लीक करने में लग गए हैं। केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर इस समस्या का हल ढूंढना चाहिए और ऐसे गैंग्स को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।
उन्होंने कहा, “आप जो भी भर्ती करना चाहते हैं, चाहे वह भर्ती शिक्षक नियुक्ति की हो, पुलिस की भर्ती हो, चाहे कोई भर्ती हो। आप भर्ती करो। लेकिन आप भर्ती न करके इन मामलों को जानबूझकर लंबा खींच रहे हैं। ताकि पिछली सरकार को बदनाम करने का बहाना मिल जाए।”
उन्होंने राजस्थान सरकार द्वारा 9 जिलों को रद्द करने पर कहा, “जिले और बनने चाहिए। यह इतना बड़ा प्रदेश है और यहां जिले कम है। पास के मध्यप्रदेश में ही देख लीजिए। वहां 53 जिले हैं। जबकि मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ कट गया। मध्य प्रदेश को छोटे जिलों में बांटने के बाद वहां के विकास में तेजी आई है। पहले वह सबसे बड़ा राज्य था, लेकिन अब वह देश में एक विकसित और महत्वपूर्ण राज्य बन गया है।”
राजस्थान में टूरिज्म पर उन्होंने कहा, “आज से 35 साल पहले जब मैं टूरिज्म विभाग का केंद्रीय मंत्री था तो हमने राज्यों से मांग की थी कि आप टूरिज्म को इंडस्ट्री का दर्जा दे दो। तब किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। मैं जब राजस्थान का मुख्यमंत्री बना तो मैंने राजस्थान में टूरिज्म को इंडस्ट्री का दर्जा दे दिया। मैंने राजस्थान में पर्यटन को उद्योग का दर्जा देने का फैसला लिया। इससे पर्यटन व्यवसाय को लाभ मिलेगा, होटल और ट्रैवल एजेंट्स को फायदा होगा और निवेश बढ़ेगा। यह निर्णय छोटे व्यवसायों के लिए फायदेमंद साबित होगा। इससे सब खुश हैं। राजस्थान के पर्यटन मंत्री को इस फैसले का स्वागत करना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्हें राज्य के हित में काम करना चाहिए था और इस फैसले को पूरे देश में लागू कराने की कोशिश करनी चाहिए थी।”
उन्होंने कहा, “राजस्थान सरकार ने स्वास्थ्य योजनाओं को कमजोर किया है। कई योजनाएं अब पहले जैसी प्रभावी नहीं रही है, और यह लोगों में कन्फ्यूजन पैदा कर रही है। जबकि इस योजना के तहत 25 लाख का बीमा कहीं और नहीं मिलता, फिर भी राज्य में इसे ठीक से लागू नहीं किया जा रहा है।”
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